Hindi, asked by sweetyabhi2, 3 months ago

प्राचीन जमाने की बात है। झासी नामक एक राज्य था। महारानी लक्ष्मीबाई उसकी पालिका थी। वह
अबला नहीं सबला है। वह पुरुषों के जैसे ही युद्ध करती थी। वह ''मर्दानी'' थी।
एक बार की बात है। उसके और उसके अगल - बगल के राज्यों पर अंग्रेजों का आक्रमण होने लगा।
अंग्रेज़ों ने राज्य संक्रमण सिद्धांत को अपनाकर कई राज्यों को हस्तगत करने लगे। तो झाँसी की रानी
वीरांगना लक्ष्मीबाई नारी सेना को तैयार करके इसके विरुद्ध डटकर रही।
झाँसी, कलापी और ग्वालियर आदि पर गोरों का आक्रमण हो रहा था। इसलिए अंग्रेजों के विरुद्ध
झाँसी लक्ष्मीबाई युद्ध भूमि में कूद पड़ी। लक्ष्मीबाई प्रतिज्ञा करती है कि झाँसी को कभी नहीं दूंगी। उसकी
रक्षा करूँगी।
झाँसी सेवा, तपस्या और बलिदान से स्वराज्य तथा स्वतंत्रता पाना चाहती थी। वह जूही, मुंदर, तात्या
आदि वीरों के सहारे स्वराज्य प्राप्ति के लिए भूमि तैयार करने नींव का पत्थर बनाती रही।
वह अपनी सेना में अनुशासन स्थापित करती है। विलासिता उसके लिए असह्य था। वह समाज में
छुआछूत,
ऊँच - नीच आदि भावनाओं को दूर करना चाहती थी।
झाँसी लक्ष्मीबाई नूपुरों के झंकार के स्थान पर तोपों का गर्जन सुनना चाहती थी। वह युद्ध भूमि में
स्वराज्य प्राप्ति नहीं कर सकेगी तो वहीं मर जाना चाहती थी। वह सदा युद्ध के लिए ललकारती थी।​

Answers

Answered by rohanbodhe64
1

Answer:

sahi baat hai

sacchi me aisa hi tha

Answered by starpratik2100
1

Explanation:

Yes

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what is your question

you have given only passage not question

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