प्राचीन काल में धूमकेतु के बारे में क्या धारणा थी?स्पष्ट करें।
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धूमकेतु सौर परिवार का गौण सदस्य है। सूर्य के आकर्षण के कारण यह शंक्वाकार मार्ग (conic sectional orbit) में भ्रमण करता है। सूर्य से दूर रहने पर यह गोलाकार ज्योतिविंदु सा दिखलाई देता है, किंतु सूर्य के समीप आने पर इसकी आकृति अद्भुत दिखलाई देती है। इस समय इसकी आकृति को दो मुख्य भागों, सिर तथा पूँछ में बाँट सकते हैं।
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