प्राचीन पद्धति के अनुसार प्रारंभिक अथवा मुख्य रंग कितने माने जाते हैं
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प्रजाति पद्धति के अनुसार प्रभावित अथवा मुख्य रंग 8 माने जाते हैं
भारतीय प्राचीन पद्धति में, प्रारंभिक अथवा मुख्य रंग छह माने जाते हैं। इन रंगों को 'शद्ध' या 'स्वच्छ' रंग भी कहा जाता है। ये रंग भारतीय कला और वास्तुशास्त्र में बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।
ये छह मुख्य रंग हैं:
हरित (पीला वर्ण) - इसे समृद्धि और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।
पीत (पीला वर्ण) - इसे ज्ञान और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
लोहित (लाल वर्ण) - इसे शक्ति और वीरता का प्रतीक माना जाता है।
श्वेत (सफेद वर्ण) - इसे शान्ति, संतुलन और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
असित (काला वर्ण) - इसे निष्क्रियता और अज्ञानता का प्रतीक माना जाता है।
नील (नीला वर्ण) - इसे शांति, स्थिरता और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है।
ये रंगों के अलावा, कुछ अतिरिक्त रंग भी उपयोग में लाए जाते हैं, जैसे कि गुलाबी (पीठ वर्ण), नारंगी (केसरिया वर्ण) और अरुण (लाल-पीला वर्ण) आदि।
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