Science, asked by vaishu5142, 11 months ago

प्राचीन समय के 12 टॉप खेलों का वर्णन कीजिए।

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Answered by Hero9647
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Cricket hockey gili danda

Answered by bhatiamona
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भारत के 12 टॉप खेलों का वर्णन इस प्रकार है...

  • शतरंज — शतरंज एक दिमाग वाला खेल है। यह भारत का प्राचीन खेल रहा है। इस खेल का आविष्कार भारत में ही हुआ था और इस खेल को सर्वप्रथम लंका के राजा रावण की पत्नी मंदोदरी ने प्रचलित किया था। तब इस खेल का नाम ‘चतुरंगिणी’ था। जिसका अर्थ है 4 अंगो वाली सेना। गुप्ताकाल में ‘चतुरंगिणी’ ‘चतुरंग’ बना और फिर यह खेल भारत से फारस (ईरान) में पहुंचा और वहां इसे शतरंज कहा जाने लगा। फिर वहां से यह यूरोप में पहुंचा जहां से इसे चैस कहा जाने लगा।
  • सांप सीढ़ी — यह बच्चों द्वारा खेला जाने वाला खेल है। भारतीय भाषा में इसे मोक्षपट कहते हैं। इस खेल के वर्तमान स्वरूप की उत्पत्ति संत ज्ञानदेव ने की थी। यह खेल हिंदुओं को नैतिकता का पाठ पढ़ाने के लिए विकसित किया गया था। अंग्रेज इस खेल को इंग्लैंड ले गये, जहां यह ‘स्नेक्स एवं लेडर्स’ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
  • कबड्डी — यह प्राचीन भारत का सबसे प्रमुख खेल रहा है और यह भारत में मुख्य रूप से खेला जाता है। यह खेल भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नाम से खेला जाता है। दक्षिण भारत में इसे ‘चेडुगुडु’ तथा पूरब-पश्चिम में ‘हुतूतू’ नाम से जानते हैं। इस खेल का विकास लोगों में आत्मरक्षा की शैली विकसित करने के लिए किया गया था।भारत के प्राचीन ग्रंथों में भगवान कृष्ण और उनके साथियों द्वारा दी कबड्डी खेले जाने का उल्लेख मिलता है।
  • खो-खो — खो-खो भारत के प्राचीनतम मैदानी खेलों में से एक है और इस का उद्भव प्राचीन भारत में हुआ था। यह खेल भी आत्मरक्षा, आक्रमण तथा प्रति-आक्रमण के कौशल को विकसित करने के लिए बनाया गया था।
  • चौपड़-पासा — इस खेल को ‘चौसर’ भी कहते हैं यह एक तरह की आकृति होती है। इसमें 64 खानों आकृति बनी होती है। यह खेल जुए से जुड़ा खेल है और महाभारत काल में कौरवों और पांडवों के बीच भी यही खेल खेला गया था। यह एक शाही खेल रहा है और मुस्लिम शासकों में भी बड़ा लोकप्रिय रहा है।
  • पोलो या सगोल कंग-जेट — यह खेल घोड़ों पर खेला जाने वाला खेल है। यह खेल के विषय में वर्णन मिलता है कि यह खेल भारत के मणिपुर राज्य में खेला जाता था। जहां इसे सगोल कंग-जेट कहते थे। यह खेल हॉकी की तरह खेल है जिसे घोड़े पर बैठकर खेला जाता है। अंग्रेजों ने इस खेल को विकसित किया और यूरोप ले गए वहां इसे पोलो नाम दिया गया।
  • फुटबॉल — भले ही फुटबॉल आज विश्व का सबसे लोकप्रिय खेल है और विश्व के अनेक देशों में खेला जाता है। लेकिन फुटबॉल का जन्मदाता भारत ही रहा है और महाभारत काल में भी फुटबॉल का वर्णन आया है जब कृष्ण अपने साथियों के साथ यमुना के किनारे फुटबॉल खेला करते थे और उनकी गेंद यमुना नदी में रहने वाले कालिया नाग के पास चली गई थी।
  • तीरंदाजी — तीरंदाजी का खेल भारत की ही देन है और इस बात के अनेकों प्रमाण मिलते हैं और भारत में एक से एक बढ़कर धनुर्धर रहे हैं, जिनमें अर्जुन, एकलव्य आदि का नाम प्रमुख है। भारत के प्राचीन राजघरानों में तीरंदाजी शस्त्र विद्या मुख्य रूप से सिखाई जाती थी और गुरुकुल में इसकी प्रतियोगिता भी होती थी।
  • कुश्ती — कुश्ती भी भारत का प्राचीन खेल रहा है और महाभारत काल में अनेक बार कुश्ती का जिक्र आया है। जिसमें भीम अपने साथियों के साथ कुश्ती लड़ते थे। कुश्ती दो लोगों के बीच खेला जाने वाला एक खेल है। जिसमें दो खिलाड़ी आपस में लड़ते हैं और अपने प्रतिद्वंदी को एक विशेष विशेष स्थिति में लाकर हराने का प्रयत्न करते हैं। कुश्ती का नाम दंगल भी है और इसके खिलाड़ियों को पहलवान कहते हैं तथा इसके मैदान को अखाड़ा कहा जाता है।
  • हॉकी — हॉकी यूं तो भारत का राष्ट्रीय खेल है लेकिन माना जाता है कि इसका जन्म ईरान में हुआ था। उस समय ईरान को पारस्य देस कहा जाता था और तब भारत वर्ष अर्थात आर्यावर्त का ही एक हिस्सा था। ये  खेल ईरान से यूरोप में फैल गया। जहां पर इसे हॉकी नाम मिला और यह विश्व का एक लोकप्रिय खेल बन गया। हॉकी के सबसे महान खिलाड़ी भारत के ही रहे हैं, जिनका नाम मेजर ध्यानचंद था।
  • गिल्ली डंडा — यह खेल भी भारत का एक प्राचीन और भारतीय खेल है। जिसे आज भी आम भारतीयों में खेला जाता है यह भारत की गली-कूचों में खेला जाने वाला आज का लोकप्रिय खेल है। इसमें लकड़ी की 6 इंच के लगभग लंबी एक गिल्ली होती है जिसे एक डंडे से मार कर हवा में उड़ाना पड़ता है। कहते हैं कि गोल्फ खेल की उत्पत्ति भी गिल्ली-डंडा से ही प्रेरित होकर हुआ था।
  • गंजिफा — यह खेल ताश की तरह का खेल है जिसका धार्मिक और नैतिक महत्व है। इसमें पत्ते ताश की तरह पत्ते होते थे जौ चौकोर न होकर गोलाकार होते थे। इस खेल में 12 पत्ते होते थे जिसमें पौराणिक चित्र बने होते थे, इसलिये इसका धार्मिक महत्व रहा है।
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