प्राचीनकाले विद्या कथं गृह्यते स्म?
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आज सारे संसार में ‘डिजिटल इण्डिया’ की चर्चा सुनी जाती है। इस शब्द का क्या भाव है, यह (ऐसी) मन में जिज्ञासा पैदा होती है। समय के बदलने के साथ मनुष्य की आवश्यकता भी बदलती है। प्राचीन काल में ज्ञान का लेना-देना मौखिक (मुँह से बोलकर) था और विद्या श्रुति परम्परा (सुनने की परंपरा) से ग्रहण की जाती थी। बाद में ताड़ के पत्ते के ऊपर और भोज के पत्ते के ऊपर लेखन-कार्य प्रारम्भ हुआ। बाद के समय में कागज़ और कलम के आविष्कार (प्रचलन) से सभी के ही मन में स्थित भावों का कागज़ के ऊपर लिखना प्रारम्भ हुआ। टाइप की मशीन (Typewriter) के आविष्कार (शुरुआत) से तो लिखी हुई सामग्री (Matter) टाइप की हुई होने से बहुत समय के लिए सुरक्षित रही।
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