Hindi, asked by shekhardeep31, 23 hours ago

प्र.- 'एक फूल की चाह ' और 'खुशबू रचते हैं हाथ' कविता में, जिन सामाजिक विषमताओं को उजागर किया गया है, उनको ध्यान में रखते हुए, एक जागरूक नागरिक होने के नाते, आप सुधार के लिए क्या- क्या उपाय करना चाहेंगे ,उसे अपने शब्दों में लिखें। ( शब्द सीमा - 120 - 150 )​

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Answered by pujarivenkateswarrao
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Answer:

इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथ CBSE Class 9 Hindi Sparsh Lesson 13 summary with a detailed explanation of the poem ‘Naye Ilake Mein, Khushboo Rachte Hain Haath’ along with meanings of difficult words.

Given here is the complete explanation of the poem, along with a summary and all the exercises, Question, and Answers given at the back of the lesson.

कक्षा 9 स्पर्श भाग 1 पाठ 13 “नए इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथ”

यहाँ हम हिंदी कक्षा 9 ”स्पर्श – भाग 1” के काव्य खण्ड पाठ 13 “नए इलाके में” और “खुशबू रचते हैं हाथ” के पाठ प्रवेश, पाठ सार, पाठ व्याख्या, कठिन शब्दों के अर्थ, अतिरिक्त प्रश्न और NCERT पुस्तक के अनुसार प्रश्नों के उत्तर इन सभी बारे में जानेंगे –

Answered by riahijain
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नए इलाके में, खुशबू रचते हैं हाथ पाठ सार

प्रस्तुत पाठ की पहली कविता ‘नए इलाके में’ में कवि ने एक ऐसी दुनिया में प्रवेश करने के आमंत्राण का उल्लेख किया है, जो एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है। इस कविता के आधार पर कवि इस बात का ज्ञान देना चाहता है कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं होता अर्थात कोई भी वस्तु या जीव हमेशा के लिए नहीं रहते।

कवि के साथ अक्सर ऐसा होता है कि वह अपना रास्ता ढूँढ़ने के लिए पीपल के पेड़ को खोजता है परन्तु हर जगह मकानों के बनने के कारण उस पीपल के पेड़ को काट दिया गया है। फिर कवि पुराने गिरे हुए मकान को ढूँढ़ता है परन्तु वह भी उसे अब कही नहीं दिखता। कहने का तात्पर्य यह है कि कवि को अब बहुत से मकानों के बन जाने से घर का रास्ता ढूँढ़ने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कवि कहता है जहाँ पर रोज ही कुछ नया बन रहा हो और कुछ मिटाया जा रहा हो, वहाँ पर अपने घर का रास्ता ढ़ूँढ़ने के लिए आप अपनी याददाश्त पर भरोसा नहीं कर सकते। कवि कहता है कि एक ही दिन में सबकुछ इतना बदल जाता है कि एक दिन पहले की दुनिया पुरानी लगने लगती है। ऐसा लगता है जैसे महीनों बाद लौटा हूँ। कवि कहता है कि अब सही घर ढ़ूँढ़ने का एक ही उपाय है कि हर दरवाजे को खटखटा कर पूछो कि क्या वह सही घर है।

इस पाठ की दूसरी कविता ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ में कवि ने सामाजिक विषमताओं को बेनकाब किया है। इस कविता में कवि ने गरीबों के जीवन पर प्रकाश डाला है। कवि कहता है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर व्यक्ति करता है। इस कविता में कवि ने उन खुशबूदार अगरबत्ती बनाने वालों के बारे में बताया है जो खुशबू से कोसों दूर है।

ऐसा कवि ने इसलिए कहा है क्योंकि अगरबत्ती का कारखाना अकसर किसी तंग गली में, घरों और सड़कों के किनारे गंदे पानी के बहाव के लिए बनाए गए रास्ता के पार और बदबूदार कूड़े के ढेर के समीप होता है। कवि कहता है कि अगरबत्ती बनाने वाले कारीगरों के हाथ तरह-तरह के होते हैं। किसी के हाथों में उभरी हुई नसें होती हैं।

किसी के हाथों के नाखून घिसे हुए होते हैं। कुछ कारीगरों के हाथ गंदे, कटे-पिटे और चोट के कारण फटे हुए भी होते हैं। कवि कहता है कि दूसरों के लिए खुशबू बनाने वाले खुद न जाने कितनी और कैसी तकलीफों का सामना करते हैं। कवि कहता है कि यह एक विडंबना ही है कि दुनिया की सारी खुशबू उन गलियों में बनती है जहाँ दुनिया भर की गंदगी समाई होती है।

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