पारा एव साधा बात' मुहावरे का क्या अभिप्राय है?
ग) सच पूछिये तो इस बात की भी क्या ही बात है जिसके प्रभाव से मानव जाति समस्त जीवधारियों की
शिरोमणि (अशरफ-उल मखलूकात) कहलाती है। शुकसारिकादि पक्षी केवल थोड़ी-सी समझने योग्य
बातें उच्चरित कर सकते हैं, इसी से अन्य नभचारियों की अपेक्षा आदृत समझे जाते हैं । फिर कौन न मानेगा
कि बात की बड़ी बात है। हाँ, बात की बात इतनी बड़ी है कि परमात्मा को लोग निराकार कहते हैं, तो
भी इसका सम्बन्ध उसके साथ लगाये रहते हैं। वेद, ईश्वर का वचन है, कुरआनशरीफ कलामुल्लाह है,
होली बाइबिल वर्ड ऑफ गाड है। यह वचन, कलाम और वर्ड बात ही के पर्याय हैं जो प्रत्यक्ष मुख के
बिना स्थिति नहीं कर सकती। पर बात की महिमा के अनुरोध से सभी धर्मावलम्बियों ने 'बिन बानी वक्ता
बड़ जोगी' वाली बात मान रखी है।
(i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।
श्न
(ii) रेखांकित अंशों की व्याख्या कीजिए।
(iii) निराकार परमात्मा का सम्बन्ध बात से कैसे है?
(iv) मानव जाति समस्त जीवधारियों में क्यों शिरोमणि है?
(v) 'बिन बानी वक्ता बड़ जोगी' का क्या अभिप्राय है?
पीति-वैर, सुख-दु:ख, श्रद्धा-घृणा, उत्साह-अनुत्सा
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खंड-क
1.निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी- बड़ी दीवारें
खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था, अब टुकड़ों में बँटकर
एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े- बड़े दालानों में सब मिल-जुलकर रहते थे,
अब छोटे- छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है।
1. किस हिस्सेदारी में मानव ने दीवारें खड़ी कर दी हैं और क्यों?
2. पूरा संसार अब कैसा हो गया है और क्यों?
3. "छोटे- छोटे डिब्बे जैसे घरों'- कथन का क्या आशय है?
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