English, asked by prachinihore, 2 months ago

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Answered by ashamane48
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भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक चिन्ह है जिसे जनवरी, को भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में घोषित किया गया था। स्थान- अशोक चिन्ह भारत के उतर प्रदेश राज्य में वाराणसी के निकट स्थित अशोक की राजधानी सारनाथ के सिंह स्तंभ से लिया गया है।

Answered by shalnis64
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भारत का राष्ट्रीय प्रतीक पर निबंध- Essay National Emblem of India in Hindi

भूमिका- हर राष्ट्र का अपना एक राष्ट्र चिन्ह होता है जिससे उस राष्ट्र की पहचान होती है। भारत का राष्ट्रीय चिन्ह अशोक चिन्ह है जिसे 24 जनवरी, 1950 को भारतीय सरकार द्वारा राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में घोषित किया गया था।

स्थान- अशोक चिन्ह भारत के उतर प्रदेश राज्य में वाराणसी के निकट स्थित अशोक की राजधानी सारनाथ के सिंह स्तंभ से लिया गया है।

विशेषताएँ- राष्ट्रीय चिन्ह में गोलाकार आकृति में चार सिंह बने हुए है जिनके मुख चारों दिशाओं में है और जो शक्ति, साहस, आत्मविश्वास और गर्व के प्रतीक है। । चार में से केवल तीन सिंह ही दिखाई देते है क्योंकि चौथा हमेशा छिपा रहता है। इसके अबेक्स में चार अशोक चक्र बने है जो उस पर बने चार जानवरों हाथी, घोड़ा, बैल और शेर को अलग अलग करते है। अशोक चक्र के दाईं तरफ बैल और बाईं तरफ घोड़ा बना हुआ है। इन मूर्तियों को पॉलिश किए हुए बलुअ पत्थरों पर सजीवता से उकेरा गया है। अबेक्स को नीचे देवनागरी लिपी में सत्यमेव जयते लिखा गया है जिसका अर्थ है कि सत्य की ही जीत होती है।हाथी- हाथी को बुद्ध का रूप कहा गया है क्योंकि उनकी माता ने सपना देखा था कि उनके गर्भ में सफेद हाथी ने प्रवेश किया है।

बैल- बैल बुद्ध की राशि वृषभ का प्रतीक है।

घोड़ा- घोड़ा उस घोड़े का प्रतीक है जिसपर बैठकर बुद्ध आत्मग्यान की खोज पर निकले थे।

सिंह- सिंह आत्मग्यान को दर्शाता है।

निष्कर्ष- भारत का राष्ट्रीय चिन्ह इसका गौरव है जिसका प्रयोग सभी सरकारी कार्यों के लिए किया जाता है। यह सभी सरकारी पत्रों पर अंकित होता है। भारतीयों के पासपोर्ट के उपर भी राष्ट्रीय चिन्ह अंकित है और यह हमारी भारतीय करंसी नोटो पर भी बना हुआ है। किसी व्यक्ति या नीजि संगठन के द्वारा इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रीय प्रतीक प्रयोग अधिनियम, 2005 के तहत इसका प्रयोग विनियमित और प्रतिबंधित है। राष्ट्रीय प्रतीक को अभी भी सारनाथ संग्रहालय में संभाल कर रखा गया है। इसे तयाबजी की पत्नी के द्वारा प्रिंट बनाकर भेडा गया था जिसके बाद इसे स्वीकृत किया गया था।

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