प्राइमरी स्कूल की सीमा लाँघते ही मोहन ने छात्रवृत्ति प्राप्त कर त्रिलोक सिंह मास्टर की भविष्यवाणी को किसी हदतक सिद्ध कर दिया तो साधारण हैसियत वाले यजमानो की पुरोहित आई करने वाले वंशीधर तिवारी का हौसलाबढ़ गया और वे भी अपने पुत्र को पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाने का सपना देखने लगे| पीढ़ियों से चले आतेपैतृक धंधे ने उन्हें निराश कर दिया था| दान- दक्षिणा के बूते पर वे किसी तरह पर
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