प्र.क. 5 (आ) निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर ऐसे पाँच प्रान
तैयार कीजिये
जिनके उत्तर एक वाक्य में हो। (5M)
भरत के चरित्र को तुलसीदास बाहर से नहीं, भीतर
से
सँवारते है, उसे बड़ी सहजता और स्वाभाविकता से उभारते हैं।
जैसे राम का नामस्मरण सुखदायी है, उसी तरह भारत का नाम
पवित्र
बनानेवाला है। इसका कारण साफ है, भरत राम को प्राणों से
भी
प्रिय है और उसकी महानता का कहना ही क्या ? भरत
में दोनों गुण
घुले-मिले है । राम तो उन्हें प्रेम करते ही है । जो राम को प्रिय
हो जिसे
राम प्रिय हो , उस पर कोई आक्षेप लगाना या उसके बारे में
कुछ
अनुचित बोलना राम का अपमान होगा ।इससे सत्कर्म तो नष्ट
होंगे
ही, पाप भी बढ़ेगा । धर्म का मूलाधार यह है कि जब भक्त
प्रभुमय
हो जाता है तब उसके संपूर्ण चरित्र में प्रभुता प्रकाशित हो
उठती. 9th std
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Explanation:
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