प्राक ऐतिहासिक
मानव जीवन कैसा था?
उत्तर सीमा
शल्य
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Answers
Explanation:
मनुष्य की उत्पत्ति का सिद्धांत हर धर्म में अलग-अलग है। मनुष्य की उत्पत्ति कब हुई, कैसे हुई और क्या मनुष्य बंदरों का विकसित रूप है? ऐसे कई सवाल मन में उठते हैं जिसका जवाब विज्ञान अपने तरीके से देता है और धर्म अपने तरीके से। यहां प्रस्तुत है हिंदू धर्मानुसार मनुष्य की उत्पत्ति का सिद्धांत।
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हिन्दू धर्म अनुसार मानव किसी भी प्रकार के बंदर का विकसित रूप नहीं है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार वानर और बंदरों को मनुष्य से अलग माना गया है। मानव की पहले लंबाई, आयु और उसका रूप भिन्न था लेकिन फिर भी मानव जैसा प्राचीन काल में दिखता था वैसा ही आज भी है। बस उसके शरीर पर से बालों की मात्रा कम हो गई। जिस तरह वानरों या बंदरों की कई प्रजातियां होती है उसी तरह मानव की भी कई प्रजातियां थी और आज भी उनमें से कुछ विद्यमान है।
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संसार के इतिहास और संवतसरों की गणना पर दृष्टि डालें तो ईसाई संवत सबसे छोटा अर्थात 2018 वर्षों का है। सभी संवतों की गणना करें तो ईसा संवत से अधिक दिन मूसा द्वारा प्रसारित मूसाई संवत 3,585 वर्ष का है। इससे भी प्राचीन संवत युधिष्ठिर के प्रथम राज्यारोहण से प्रारंभ हुआ था। उसे 4,172 वर्ष हो गए हैं। इससे पहले कलियुगी संवत शुरू 5,117 वर्ष पहले शुरू हुआ।इब्रानी संवत के अनुसार 6,029 वर्ष हो चुके हैं, इजिप्शियन संवत 28,669 वर्ष, फिनीशियन संवत 30,087 वर्ष। ईरान में शासन पद्धति प्रारंभ हुई थी तब से ईरानियन संवत चला और उसे अब तक 1,89,995 वर्ष हो गए। ज्योतिष के आधार पर चल रहे चाल्डियन संवत को 2,15,00,087 वर्ष हो गए। खताई धर्म वालों का भी हमारे भारतीयों की तरह ही विश्वास है कि उनका आविर्भाव आदिपुरुष खता से हुआ। उनका वर्तमान संवत 8,88,40,388 वर्ष का है। चीन का संवत जो उनके प्रथम राजा से प्रारंभ होता है वह और भी प्राचीन 9,60,02,516 वर्ष का है।अब हम अपने वैवस्तु मनु का संवत लेते हैं, जो 14 मन्वंतरों में से एक है। उससे अब तक का मनुष्योत्पत्ति काल 12,05,33,117 वर्ष का हो जाता है जबकि हमारे आदि ऋषियों ने किसी भी धर्मानुष्ठान और मांगलिक कर्मकांड के अवसर पर जो संकल्प पाठ का नियम निर्धारित किया था और जो आज तक ज्यों का त्यों चला आता है उसके अनुसार मनुष्य के आविर्भाव का समय 1,97,29,449 वर्ष होता है जबकि 1960853118 वर्ष पहले सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी।