Hindi, asked by atifaiqbal009, 7 months ago

पौरि के किंवार देत धरै सबै गारिदेत
साधुन को दोष देत प्राति न चहत हैं।
माँगते को ज्वाब देत, बात कहै रोयदेत,
लेत-देत भाज देत ऐसे निबहत है।
मागेहँ के बंद देत बारन की गाँठ देत
धोती की काँछ देत देतई रहत है।
ऐसे पैसबैई कहै, दाऊ, कछू देत नाहि
दाऊ जो आठो याम देतई रहत है। ras konsa h​

Answers

Answered by mauryravi45
1

Answer:

sorry.................

Answered by mritunjay1108kvsrogu
0

Answer:

हास्य रस

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