प्राकृतिक आपदाओं को रोकने के लिए मनुष्य अपना योगदान कैसे दे सकिा है? स्पष्ट कीजिए Please don't give very long answer. :)
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आपदा प्रबंधन का पहला चरण है खतरों की पहचान। इस अवस्था पर प्रकृति की जानकारी तथा किसी विशिष्ट अवस्थल की विशेषताओं से संबंधित खतरे की सीमा को जानना शामिल है। साथ ही इसमें जोखिम के आंकलन से प्राप्त विशिष्ट भौतिक खतरों की प्रकृति की सूचना भी समाविष्ट है।
इसके अतिरिक्त बढ़ती आबादी के प्रभाव क्षेत्र एवं ऐसे खतरों से जुड़े माहौल से संबंधित सूचना और डाटा भी आपदा प्रबंधन का अंग है। इसमें ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं कि निरंतर चलनेवाली परियोजनाएं कैसे तैयार की जानी हैं और कहां पर धन का निवेश किया जाना उचित होगा, जिससे दुर्दम्य आपदाओं का सामना किया जा सके।
हमारे चारों और हम जो भी प्राकृतिक वस्तुएं देखते हैं वह प्रकृति ही है। प्रकृति से हमें वह सब मिलता है जो इंसान के जीवन के लिए अतिआवश्यक है। जैसे साँस लेने के लिए वायु (ऑक्सीजन), पीने के लिए पानी और पेट भरने के लिए खाद्य सामग्री। लेकिन इंसान अपनी और अधिक चाह के लिए प्रकृति का दोहन करता जा रहा है ओर इस धरती को प्रकृति के सौंदर्य से वंचित कर रहा है। समय हमें चेता रहा है कि यदि हमने अभी इस विषय पर ठोस कदम न उठाये तो वह दिन दूर नहीं जब इस धरती पर जीवन संभव न हो पायेगा।