Hindi, asked by sukhada9952, 1 year ago

प्राकृतिक आपदा प्रबंधन पर निबंध | Praakrtik Aapada Prabandhan Par Nibandh

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Answered by mchatterjee
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यह प्राकृतिक आपदाएं कभी बताकर नहीं आती है। यह अचानक धमक‌ पड़ती है हम सबके जिंदगी में और‌ हमारे बरसों के कमाई को, हमें बर्बाद कर देती है।


मगर यह प्राकृतिक आपदा है इनपर हमारा जोर नहीं चल सकता। जब पृथ्वी पर अत्याधिक हलचल होती है तब प्रकृति पृथ्वी को शांत करने के लिए यह आपदाएं लाती है।


प्राकृतिक आपदाएं जैसे-- भूस्खलन, सूखा, बाढ़, भूकंप इत्यादि आपदा हमारे भारत में हर वर्ष कहीं न कहीं होता है और इन आपदाओं के कारण लाखों-करोड़ों लोगों की जान भी जाती है।


इससे बचने का उपाय समय रहते कर भी लेना चाहिए। यदि आपको इसका आभास हो। जिस भूमि में वर्षा नहीं होती वह सूख जाता है और वहां की धरती अपने आप फंटना शुरू होती है। ऐसे में हम यदि पर्याप्त मात्रा में पानी भूमि पर डालते हैं तो हम सूखा से बच सकते हैं।


बाढ़ के वक्त पर अकाल पड़ता है। चारों और पानी होता है। ऐसे में नौको की आवश्यकता होती है जो लकड़ी का बनाकर रखा जा सकता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर आप प्रयोग कर सकें।


भूकंप के समय पर खुले मैदान पर जाना चाहिए इससे जान-माल की क्षति नहीं होती । इस तरह आप आपदा के वक्त अपनी रक्षा स्वयं करें सकते हैं।

Answered by coolthakursaini36
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                                “प्राकृतिक आपदा प्रबंधन”

इस धरती की हर चीज धरती के संतुलन के लिए अनिवार्य है। किन्तु मनुष्य ने आज अपने फायदे के लिए प्रकृति का अप्राकृतिक तरीके से दोहन कर रहा है। जंगली जीवन की आवास सिकुड़ते जा रहे हैं, जिस कारण बहुत सी प्रजातियां लुप्त हो गई है और बहुत से लुप्त होने की कगार पर हैं। नदियों का पानी रोका जा रहा है और पहाड़ों में सुरंगे बना करके उसे खोखला किया जा रहा है। जिस कारण पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है और बहुत से प्राकृतिक आपदाएं आती हैं Iजैसे बाढ़ भूकंप सुनामी भूस्खलन ज्वालामुखी इन खंडों का पिघलना चक्रवात आदि हैं।

प्राकृतिक आपदाएं जब भी आती हैं तो अपने साथ विनाश का तांडव लेकर ही आती है, चारों तरफ हाहाकार में जाता है। जिस कारण जान-माल की हानि होती है। पृथ्वी की शक्ति के आगे मनुष्य बेबस हो जाता है, बड़ी बड़ी ऊंची इमारतें बड़े-बड़े जहाज क्षण भर में जमींदोज हो जाते हैं। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए हमें दो तरह का प्रबंधन करना चाहिए। एक आपदा से पहले और एक आपदा के बाद। आपदा प्रबंधन के कई स्तर हो सकते हैं, जिनमें से केंद्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन, राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन तथा जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन।

आज भारत सबसे ज्यादा प्राकृतिक आपदा से पीड़ित है वह है बाढ़। बाढ़ की स्थिति में आपको अपने शहर गांव में बाढ़ की संभावना और बाढ़ के सबसे उच्च स्तरों को जाना चाहिए। अपनी बहुमूल्य वस्तुओं और महत्वपूर्ण दस्तावेजों की सुरक्षा करने की योजना बनाएं। अपने इलाके के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा सहायता केंद्रों की जानकारी रखनी चाहिए। एक आपातकालीन किट भी तैयार रखनी चाहिए, जिसमें से कुछ सूखा खाद्य पदार्थ, पानी, जरूरी दवाएं, रेडियो, टॉर्च और जरूरी कागजात, आपात दूरभाष नंबर, मोमबत्ती, माचिस आदि शामिल हो तथा उसे उपयोग हेतू चालू हालत में रखना चाहिए। पालतू जानवरों को पहले से ही सुरक्षित कथा ऊंचे स्थान पर पहुंचा देना चाहिए या जल का स्तर बढ़ रहा हो तो उन्हें खुला छोड़ दीजिए।

यदि किसी स्थानीय उपकरण के द्वारा बाढ़ की चेतावनी मिले तो उसका पालन करना चाहिए और अपने पड़ोसियों के भी सूचित करें तथा ऊँचे स्थान पर चले जाना चाहिए। जब आप स्थान छोड़ रहे हो, तो अपने साथ आपातकालीन किट जरूर ले जाएं। यदि आप घर छोड़ रहे हो तो अपने घर के अंदर बिजली का मुख्य स्विच, गैस और पानी के नालों को बंद कर देना चाहिए एवं मित्रों और रिश्तेदारों को अपने ज़ाने की जानकारी दें।  

बाढ़ की स्थिति में क्या न करें? बाढ़ का पानी ना पीना चाहिए और न उसमें भोजन पकाना चाहिए बाढ़ पानी के संपर्क में आया हुआ खाद्य पदार्थ भी नहीं खाना चाहिए और बाड़ में मौजूद जलीय जीव जैसे मछली आदि को भी नहीं खाना चाहिए। बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में नहीं जाना चाहिए तथा वाहन चलाने से भी बचना चाहिए। बिना मदद की बाढ़ के पानी में नहीं जाना चाहिए। बच्चों को बाढ़ के पानी से दूर रखें। उन बिजली उपकरणों का भी प्रयोग नहीं करना चाहिए जो पानी से गीले हो।

उसी तरह भूकंप के समय बिल्कुल सावधानियां बरतनी जरूरी हैं भूकंप कुछ सेकेंडों के लिए ही आता है तथा बहुत सारी तबाही करके जाता है, इसलिए भूकंप आने पर घर से बाहर की तरफ नहीं भागना चाहिए। अपने परिवार के सदस्यों को घर के अंदर दरवाजे के पास टेबल यदि बिस्तर के नीचे पहुंचा दें। खिड़की और चिमनी से दूर रहना चाहिए घर के बाहर हो तो ऊंची इमारतों दीवारों बिजली के लटकते हुए तारों से दूर रहना चाहिए और खस्ता हालत में जो इमारतें हैं उनमें कभी भी प्रवेश ना करें।

प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए आपसी सहयोग तालमेल और जानकारी का होना जरूरी है।


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