प्राकृतिक आपदा पर सरल निबंध
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a natural event which causes great damage to life
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coolthakursaini36
Coolthakursaini36Samaritan
प्राकृतिक आपदा
पिछले कई दशकों से जिस प्रकार मानव उन्नति के पथ पर अग्रसर हो रहा है तथा अपनी इच्छाओं और अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए जिस प्रकार प्रकृति के संसाधनों प्राकृतिक तरीकों से दोहन कर रहा है, जंगलों को काटा जा रहा है, नदी नालों को रोका जा रहा है, जमीन के अंदर सुरंगों का जाल बिछाया जा रहा है, जिस कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है और नित आए दिनों प्राकृतिक आपदा की घटनाओं को देखा जा सकता है।
आज पूरा वातावरण प्रदूषित हो चुका है जिसके जिम्मेबार हम स्वयं ही हैं। प्राकृतिक आपदा की घटनाएं बढ़ती ही जा रहे हैं। कहीं अचानक अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़ आ जाती है तो कहीं सूखा पड़ जाता है वहां अकाल की स्थिति बन जाती है। कहीं तूफान आ जाता है तो कहीं सुनामी जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं। कहीं पूरे के पूरे पहाड़ दरखते हैं।
प्राकृतिक आपदा के आगे मनुष्य तिनका मात्र है, जब बाढ़ आती है तो बड़ी-बड़ी गगनचुंबी इमारतें जमींदोज हो जाती हैं। हमारे आकाश में उड़ने वाले बड़े बड़े हवाई जहाज तूफान के आगे मक्खी मच्छरों की तरह इधर-उधर हो जाते हैं।
अभी हाल ही में उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा को कौन भूल सकता है जहां पूरे के पूरे पहाड़ दरकने लगे, नदी नाले बिहार भयानक स्थिति में पहुंच चुके थे। सैकड़ों गाड़ियां नदी नालों में बह चुकी थी हजारों के हिसाब से लोग मर गए थे, सारी सड़कें पूरी तरह से बंद थी। वह बहुत ही भयानक त्रासदी थी
लेकिन एक सवाल हमेशा ही मन में उठता है कि आखिर इसका जिम्मेबार कौन है? क्यों इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं आती हैं? शायद इसका जवाब हम सभी के पास हैं और हम सभी जानते हैं। जब भी हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे उस ईश्वर द्वारा बनाए हुए इस धरा के संतुलन को बिगाड़ेंगे तो हमें इस तरह की आपदाओं का सामना करना पड़ेगा।
हमें प्राकृतिक संसाधनों का प्राकृतिक तरीके से प्रयोग करना चाहिए और हमें इस धरा को हरा भरा रखना चाहिए वन्यजीवों का भी ध्यान रखना चाहिए क्योंकि आज उनके आवास घटते जा रहे हैं और उनकी प्रजातियों की संख्या लुप्त होती जा रही है। सभी राष्ट्रों को इस बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर मिलकर सोचना होगा और मिलकर काम करना होगा तभी हम इस तरह की आपदाओं से बच सकते हैं।