प्राकृतिक आपदा से कैसे निपटा जा सकता हैं। भारत की व्यवस्थाएं प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए कहां तक सार्थक हैं । अपने विचार 250 शब्दों में व्यक्त कीजिए।
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प्राकृतिक आपदा एक प्राकृतिक जोखिम (natural hazard) का परिणाम है जैसे की ज्वालामुखी विस्फोट (volcanic eruption), भूकंप जो कि मानव गतिविधियों को प्रभावित करता है। मानव दुर्बलताओं को उचित योजना और आपातकालीन प्रबंधन (emergency management) का आभाव और बढ़ा देता है, जिसकी वजह से आर्थिक, मानवीय और पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। परिणाम स्वरुप होने वाली हानि निर्भर करती है जनसँख्या की आपदा को बढ़ावा देने या विरोध करने की क्षमता पर, अर्थात उनके लचीलेपन पर।[1] ये समझ केंद्रित है इस विचार में: "जब जोखिम और दुर्बलता (vulnerability) का मिलन होता है तब दुर्घटनाएं घटती हैं".[2] जिन इलाकों में दुर्बलताएं निहित न हों वहां पर एक पर भी एक प्राकृतिक आपदा में तब्दील नहीं हो सकता है, उदहारण स्वरुप, निर्जन प्रदेश में एक प्रबल भूकंप का आना-बाना मानव की भागीदारी के घटनाएँ अपने आप जोखिम या आपदा नहीं बनती हैं, इसके फलस्वरूप प्राकृतिक शब्द को विवादित बताया गया है।[3]