Social Sciences, asked by sakiba2zx, 5 months ago

प्राकृतिक वनस्पति किस प्रकार उद्योगों के लिए आधार प्रदान करते हैं​

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Answered by sahilkalshyan8
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Explanation:

विश्व के प्रत्येक भाग में किसी-न-किसी प्रकार की वनस्पति अवश्य ही पायी जाती है, चाहे वह झाड़ियों या घास के रूप में हो अथवा सघन वनों के रूप में हो। ये सभी प्राकृतिक रूप से उगते हैं। वास्तव में यह प्रकृति द्वारा मानव को दिये गये अमूल्य उपहार हैं। भूतल पर पेड़-पौधे आदिकाल से ही उगते आ रहे हैं; अतः तभी से मानव का सम्बन्ध उनसे स्थापित हुआ है। मानव प्राचीन काल से ही इनका शोषण करतो आयो है।

प्राकृतिक वनस्पति के प्रकार – सामान्यतया धरातल पर तीन प्रकार की प्राकृतिक वनस्पतियाँ पायी जाती हैं-

वन,

घास के मैदान तथा

झाड़ियाँ।

उपर्युक्त तीनों में से वन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं। विश्व के कुल क्षेत्रफल के 25,620 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर वनों का विस्तार है जिनमें से 59% पहुँच योग्य हैं, जिन्हें काटकर लकड़ियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। शेष वन मानव की पहुँच से बाहर हैं। ये वन रूस के भीतरी भागों, कनाडा, अलास्का, एशिया तथा दक्षिणी अमेरिका के अनेक भागों में विस्तृत हैं।

विश्व में वनों के प्रकार

Types of Forests in World

वनों को उनमें पाये जाने वाले वृक्षों एवं उनकी जातियों के आधार पर निम्नलिखित पाँच प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है –

(1) उष्ण कटिबन्धीय चौड़ी पत्ती वाले सदापर्णी वन (Tropical Evergreen Forests) – इन वनों का विस्तार विषुवत् रेखा के दोनों ओर 5°उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के मध्य है। उष्ण कटिबन्धीय भागों में अत्यधिक वर्षा एवं भीषण गर्मी पड़ने के कारण सघन वन आसानी से उग आते हैं। इन प्रदेशों में शीत एवं ग्रीष्म काल का तापान्तर बहुत ही कम होता है, जिससे वृक्षों में पतझड़ का कोई निश्चित समय नहीं होता।

इसी कारण वृक्षों में हर समय नयी पत्तियाँ निकलती रहती हैं जिससे इन्हें सदाबहार वन कहा जाता है। इनकी औसत ऊँचाई 60 से 100 मीटर तक होती है। इनके नीचे लताओं एवं झाड़ियों के फैले रहने के कारण सदैव अन्धकार छाया रहता है तथा सूर्य का प्रकाश भी धरातल तक नहीं पहुंच पाता जिससे यहाँ दलदल मिलती है। इन वनों की लकड़ी बड़ी कठोर होती है; अतः इन्हें काटने में भी बड़ी असुविधा रहती है। इन वनों के वृक्षों में आबनूस, महोगनी, बाँस, रोजवुड, लॉगवुड, रबड़, नारियल, केला, ग्रीन हार्ट, सागौन, सिनकोना, बेंत आदि मुख्य हैं।

वितरण – धरातल पर इन वनों का विस्तार 145 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर है। इनमें से 54.5% दक्षिणी अमेरिका में, 20% अफ्रीका में, 18% एशिया में, 7.5% ऑस्ट्रेलिया में तथा अन्य देशों में पाये जाते हैं। ये वन विशेषतः अमेजन बेसिन, अफ्रीका के पश्चिमी भागों तथा दक्षिणी-पूर्वी एशियाई देशों में मिलते हैं, जहाँ वर्ष भर तापमान काफी ऊँचे तथा वर्षा का औसत 200 सेमी से अधिक रहता है।

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उत्तरी गोलार्द्ध में इन वनों का विस्तार शीतोष्ण कटिबन्ध के उत्तरी भागों में है। ग्रीष्म ऋतु में 10° सेग्रे तापमान तथा जल का अभाव वृक्षों की पत्तियों को नुकीली बना देता है जिससे पत्तियों के द्वारा वायु के साथ अधिक जल वाष्प बनकर नहीं उड़ पाता।

उपयोगिता – इन वनों में झाड़-झंखाड़ नहीं मिलते हैं। अत: इनका शोषण सरलता से किया जा सकता है। ये कोमल एवं उपयोगी होते हैं।

वितरण – इन वनों का विस्तार लगभग 106 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्र पर है। इसमें से 30.5% उत्तरी अमेरिका में, 40% एशिया में, 215% यूरोप में, 5% दक्षिणी अमेरिका में तथा 3% अफ्रीका में हैं। ये वन मुख्यत: उत्तरी अमेरिका तथा यूरेशिया के उत्तरी भागों में पाये जाते हैं। पूर्व सोवियत संघ में साइबेरिया के वनों को टैगा कहते हैं, जो बहुत बड़े क्षेत्र पर विस्तृत हैं।

Answered by google7987
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