' प्रेम जोड़ता है और घृणा दूरियां बढ़ती है ' आशय स्पष्ट किजिए .
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Explanation:
ये सत्य है कि प्रेम जोड़ता है और घृणा दूरिया बढ़ता है । घृणा से जीवन का अंत है तोह प्रेम से जीवन की सुरुआत । घृणा जहर है तोह प्रेम अमृत है। घृणा अंधकार है तोह प्रेम प्रकास है । घृणा दानवता का रूप है तोह प्रेम मानवता का रूप है । कोई भी मानव दुसरो से घृणा नही प्रेम चाहता है । प्रेम की दुनिया मे केवल शांति ही शांति होगी , भला घृणा कोन चाहता है? इसलिए हमें सबो से प्रेम के साथ रहना चिहिये न कि घृणा के साथ । प्रेम तोह दुनिया का आधार है । प्रेम से बढ़ कर कुछ भी नही है । ईस्वर भी मानव से प्रेम ही चाहते है । इसलिए प्रेम का होता अति आवश्यक है । प्रेम हमारे जीवन मे सुख लाता है । वह एक मानव को दूसरे मानव से जोड़ता है । अत: हमे सबो से प्रेम की भवना रखनी चाहिए ।
ध्न्यवाद
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