” प्रेम का अनुशासन मानने को हाड़ा वंश सदा तैयार है, शक्ति का नहीं। मेवाड़ के महाराणा को यदि अपने ही जाति भाइयों पर अपनी तलवार अज़माने की इच्छा हुई है तो उससे उन्हें कोई नहीं रोक सकता। बूंदी स्वतंत्र राज्य है और स्वतंत्र रहकर वह महाराणाओं का आदर करता रह सकता है। अधीन होकर किसी की सेवा करना वह पसन्द नहीं करता ।”
उपर्युक्त वाक्य किसने, किससे, कब और क्यों कहे हैं ? वक्ता का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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यह कथन राव हेमू ने अभयसिंह से कहा था जब अभयसिंह अनुशासन के अभाव की बात करते हैं और कहते हैं कि राज्यों के अनुशासन के अभाव से हमारे देश के टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे, तब राव हेमू कहते हैं कि प्रेम का अनुशासन मानने को तो हाड़ा वंश सदा तैयार है किन्तु शक्ति का नहीं। राव हेमू के हृदय की विशालता, भावुकता तथा उनके पूरे व्यक्तित्व का पता हमें उनकी इन पंक्तियों से लगता है।
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