'प्रेमी को प्रेमी निले, सब विष अमृत होई' काव्यांश नं विष और अमृत किसका प्रतीक है
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‘विष’ मानव मन में छिपे पापों, बुराइयों, दुर्भावनाओं तथा वासनाओं का प्रतीक है| कवि ने ‘अमृत’ का प्रयोग पुण्य, मुक्ति, सद्भावना, भक्ति आदि के प्रतीक के रूप में किया गया है|
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