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प्रेम न खेतौ ऊपजै, प्रेम न हाट बिकाय।
राजा परजा जेहि रुचै, सिर दे सो ले जाय॥
Answers
Answer:
िमय ब ुत मूल्यािान ोता ै। य बीत जाए तो लािों-करोडों रुपये िचग करके भी इिे िापि
न ीां लाया जा िकता। इि िांिार में जजिने भी िमय की कद्र की ै, उिने िुि के िाथ जीिन
र्ुजारा ैऔर जजिने िमय की बबादग ी की, ि िुद ी बबादग ो र्या ै। िमय का मल्ूय उि
खिलाडी िे पूनिए, जो िेकांड के िौिेह स्िे िे पदक चूक र्या ो। स्टेशन पर िडी रेलर्ाडी
एक समनट के विलांब िेिूट जाती ै। आजकल तो कई विद्यालयों मेंदेरी िेआने पर
विद्यालय मेंप्रिेश भी न ीां करनेहदया जाता। िात्रों को तो िमय का मूल्य और भी अच्िी
तर िमझ लेना चाह ए, क्योंकक इि जीिन की कद्र करके िे अपने जीिन के लक्ष्य को पा
िकते ैं।
Explanation:
िमय ब ुत मूल्यािान ोता ै। य बीत जाए तो लािों-करोडों रुपये िचग करके भी इिे िापि
न ीां लाया जा िकता। इि िांिार में जजिने भी िमय की कद्र की ै, उिने िुि के िाथ जीिन
र्ुजारा ैऔर जजिने िमय की बबादग ी की, ि िुद ी बबादग ो र्या ै। िमय का मल्ूय उि
खिलाडी िे पूनिए, जो िेकांड के िौिेह स्िे िे पदक चूक र्या ो। स्टेशन पर िडी रेलर्ाडी
एक समनट के विलांब िेिूट जाती ै। आजकल तो कई विद्यालयों मेंदेरी िेआने पर
विद्यालय मेंप्रिेश भी न ीां करनेहदया जाता। िात्रों को तो िमय का मूल्य और भी अच्िी
तर िमझ लेना चाह ए, क्योंकक इि जीिन की कद्र करके िे अपने जीिन के लक्ष्य को पा
िकते ैं।
िमय ब ुत मूल्यािान ोता ै। य बीत जाए तो लािों-करोडों रुपये िचग करके भी इिे िापि
न ीां लाया जा िकता। इि िांिार में जजिने भी िमय की कद्र की ै, उिने िुि के िाथ जीिन
र्ुजारा ैऔर जजिने िमय की बबादग ी की, ि िुद ी बबादग ो र्या ै। िमय का मल्ूय उि
खिलाडी िे पूनिए, जो िेकांड के िौिेह स्िे िे पदक चूक र्या ो। स्टेशन पर िडी रेलर्ाडी
एक समनट के विलांब िेिूट जाती ै। आजकल तो कई विद्यालयों मेंदेरी िेआने पर
विद्यालय मेंप्रिेश भी न ीां करनेहदया जाता। िात्रों को तो िमय का मूल्य और भी अच्िी
तर िमझ लेना चाह ए, क्योंकक इि जीिन की कद्र करके िे अपने जीिन के लक्ष्य को पा
िकते ैं।िमय ब ुत मूल्यािान ोता ै। य बीत जाए तो लािों-करोडों रुपये िचग करके भी इिे िापि
न ीां लाया जा िकता। इि िांिार में जजिने भी िमय की कद्र की ै, उिने िुि के िाथ जीिन
र्ुजारा ैऔर जजिने िमय की बबादग ी की, ि िुद ी बबादग ो र्या ै। िमय का मल्ूय उि
खिलाडी िे पूनिए, जो िेकांड के िौिेह स्िे िे पदक चूक र्या ो। स्टेशन पर िडी रेलर्ाडी
एक समनट के विलांब िेिूट जाती ै। आजकल तो कई विद्यालयों मेंदेरी िेआने पर
विद्यालय मेंप्रिेश भी न ीां करनेहदया जाता। िात्रों को तो िमय का मूल्य और भी अच्िी
तर िमझ लेना चाह ए, क्योंकक इि जीिन की कद्र करके िे अपने जीिन के लक्ष्य को पा
िकते ैं।