Hindi, asked by iramansari4, 11 months ago

प्रेम पाने के लिए सिर देना से कबीर का आशय स्पष्ट कीजिए

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Answered by shishir303
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प्रेम पियाला जो पिये, शीश दक्षिणा देय !

लोभी शीश न दे सके, नाम प्रेम का लेय !!

प्रेम पाने के लिये सिर देने से कबीर का आशय है कि प्रेम रूपी प्याले को वही व्यक्ति पी सकता है जो अपने सिर का बलिदान करने तक को तत्पर हो, जो लोग लोग लोभी हैं, वो लोग अपने सिर का बलिदान नही कर सकते और उन्हे प्रेम रूपी प्याले का पान करना नसीब नही होता है।

यहाँ कबीर का आशय  है कि प्रेम रूपी प्याले का अर्थ ईश्वर की भक्ति और अपने अंदर के आत्मज्ञान से है। इसी ईश्वर और ज्ञान रूपी प्याले को पीने के लिये अंहकार, अभिमान और मोहमाया रूपी सिर का बलिदान करना पड़ता है अर्थात इनको त्यागना पड़ता है तभी उस सद्ज्ञान की प्राप्ति होती है। जो लोग इस मोहमाया और अंहकार के लोभ में पड़े रहते हैं, उन्हें ज्ञान रूपी प्रेम प्याला कभी भी पीने को नही मिल पाता है।

Answered by radhikashinde1986
7

प्रेम पाने के लिए सिर देने से कबीर कहना चाहते है

की अगर हम प्रेम की प्रप्ती करना चाहते है तो हमे अपना अहंकर त्याग्ना होगा

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