CBSE BOARD X, asked by tulsiram81, 9 months ago

प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन। निबंध​

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Answered by bhatiamona
50

Answer:

यह वाक्य सत्य है , प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन।

प्रेम का दायरा बहुत बड़ा है | प्रेम जीवन का सिद्धांत है, वह जो प्रेम करता है जीता है|  प्रेम नाम से पता चल रहा है , आपस में प्यार , भावना  | प्रेम से हम सब का दिल जीत सकते है और सब कुछ हासिल कर सकते है |    प्रेम आपस में मिलकर रहना सीखता है |

स्वार्थ का दायरा बहुत बहुत छोटा है | स्वार्थ की भावना मनुष्य को मतलबी बनाता है | स्वार्थ से लोग मरते है , और अपना जीवन दूसरों से जल-जल कर निकालते है | स्वार्थ मानव को गलत रास्ते और सबसे दूर ले जाता है | मनुष्य का स्वार्थी मन किसी की खुशी नहीं देख सकता|  स्वार्थ के रास्ते चलने पर हमें कुछ हासिल नहीं होता |

Answered by CopyKing
0

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यह वाक्य सत्य है , प्रेम विस्तार है और स्वार्थ संकुचन।

प्रेम का दायरा बहुत बड़ा है | प्रेम जीवन का सिद्धांत है, वह जो प्रेम करता है जीता है|  प्रेम नाम से पता चल रहा है , आपस में प्यार , भावना  | प्रेम से हम सब का दिल जीत सकते है और सब कुछ हासिल कर सकते है |    प्रेम आपस में मिलकर रहना सीखता है |

स्वार्थ का दायरा बहुत बहुत छोटा है | स्वार्थ की भावना मनुष्य को मतलबी बनाता है | स्वार्थ से लोग मरते है , और अपना जीवन दूसरों से जल-जल कर निकालते है | स्वार्थ मानव को गलत रास्ते और सबसे दूर ले जाता है | मनुष्य का स्वार्थी मन किसी की खुशी नहीं देख सकता|  स्वार्थ के रास्ते चलने पर हमें कुछ हासिल नहीं होता |

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