प्रेम विस्तार है स्वार्थ संकुचित है !Prem vistar h
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प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है वह जो प्रेम करता है जीता है प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है वह जो प्रेम करता है जीता है , वह जो स्वार्थी है मर रहा है इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो , क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है , वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो
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