Hindi, asked by jivikasharma157, 5 hours ago

प्रेमचंद जी की उल्लेखनीय कार्य​

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Answered by gautamtanu03
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Explanation:

नपत राय श्रीवास्तव (31 जुलाई 1880 – premchand

नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। उन्होंने हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

प्रेमचंद

Premchand 1980 stamp of India.jpg

डाक टिकट पर प्रेमचंद

जन्म

31 जुलाई 1880

लमही, वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत

मृत्यु

8 अक्टूबर 1936 (उम्र 56)

वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत

व्यवसाय

अध्यापक, लेखक, पत्रकार

राष्ट्रीयता

भारतीय

अवधि/काल

आधुनिक काल

विधा

कहानी और उपन्यास

विषय

सामाजिक और कृषक-जीवन

साहित्यिक आन्दोलन

आदर्शोन्मुख यथार्थवाद (आदर्शवाद व यथार्थवाद)

,अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ

उल्लेखनीय कार्य

गोदान, कर्मभूमि, रंगभूमि, सेवासदन, निर्मला और मानसरोवर

हस्ताक्षर

1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इस

में उस दौर के समाजसुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता है। हिन्दी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखण्ड को 'प्रेमचंद युग' या 'प्रेमचन्द युग' कहा जाता है।

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