प्रेमचंद की भाषा बहुत पैनी और मुहावरेदार है। इसलिए इनकी कहानियाँ रोचक और प्रभावपूर्ण होती हैं। इस कहानी में आप देखेंगे कि हर अनुच्छेद में दो-तीन मुहावरों का प्रयोग किया गया है। उदाहरणत: इन वाक्यों को देखिए और ध्यान से पढ़िए − • मेरा जी पढ़ने में बिल्कुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था। • भाई सहाब उपदेश की कला में निपुण थे। ऐसी-ऐसी लगती बातें कहते, ऐसे-ऐसे सूक्ति बाण चलाते कि मेरे जिगर के टुकड़े-टुकड़े हो जाते और हिम्मत टूट जाती। • वह जानलेवा टाइम-टेबिल, वह आँखफोड़ पुस्तकें, किसी की याद न रहती और भाई साहब को नसीहत और फ़जीहत का अवसर मिल जाता। निम्नलिखित मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए − सिर पर नंगी तलवार लटकना, आड़े हाथों लेना, अंधे के हाथ बटेर लगना, लोहे के चने चबाना, दाँतों पसीना आना, ऐरा-गैरा नत्थू खैरा।
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प्रश्न में दिये गये मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग....
सिर पर नंगी तलवार लटकना — हमेशा खतरे की आशंका रहना, अस्थिर स्थिति रहना।
वाक्य प्रयोग — उस खिलाड़ी का हर मैच में ठीक-ठाक प्रदर्शन होने के बावजूद उसके सिर पर हमेशा नंगी तलवार लटकी रहती थी।
आड़े हाथों लेना — खरी-खोटी सुनाना, भला-बुरा कहना, डांटना।
वाक्य प्रयोग — छात्र द्वारा समय पर होमवर्क पूरा न कर पाने पर शिक्षिका ने उसे आड़े हाथ लिया।
अंधे के हाथ बटेर लगना — किसी को कोई कीमती वस्तु यूं ही मिल जाना, किसी को उसकी योग्यता से अधिक मिल जाना।
वाक्य प्रयोग — मोहन मात्र बारहवीं पास है, उसने एक कंपनी में नौकरी के लिये आवेदन दिया और उसे मैनेजर की नौकरी मिल गयी, ये वही बात हुई कि अंधे के हाथ बटेर लग गई।
लोहे के चने चबाना — किसी काम को बहुत मेहनत से पूरा कर पाना, किसी काम में बेहद कठिनाई आना।
वाक्य प्रयोग — इंग्लैंड को विश्वकप फाइनल में न्यूजीलैंड से जीतने के लिये लोहे के चने चबाने पड़ गये।
दाँतो दले उंगली दबाना — आश्चर्यचकित हो जाना, किसी अनोखे कार्य को देखकर रोमांचित होना।
वाक्य प्रयोग — सर्कस में कलाकारों द्वारा दिखाये गये अनोखे करतब को देखकर सबने दाँतो दले उंगली दबा ली।
ऐरा-गैरा नत्थू खैरा — महत्वहीन व्यक्ति, जिसका कोई महत्व न हो।
वाक्य प्रयोग — मैं किसी ऐरे गैरे नत्थू खैरे के मुँह नही लगता।