Hindi, asked by samarthmittal800, 3 months ago

३.प्रेमचंद के चेहरे पर किस प्रकार के भाव विधमान थे?
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विश्वास पूर्ण
बेपरवाही और विश्वास के
Oमुसकान के
पीडा​

Answers

Answered by shishir303
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सही उत्तर है, विकल्प...

O बेपरवाही और विश्वास के

स्पष्टीकरण:

‘हरिशंकर परसाई’ द्वारा लिखित व्यंग “प्रेमचंद के फटे जूते” में लेखक प्रेमचंद के चेहरे के भाव का वर्णन करते हुए कहते हैं कि...

मैं चेहरे की तरफ़ देखता हूँ। क्या तुम्हें मालूम है, मेरे साहित्यिक पुरखे कि तुम्हारा जूता फट गया है और अंगुली बाहर दिख रही है? क्या तुम्हें इसका ज़रा भी अहसास नहीं है? ज़रा लज्जा, संकोच या झेंप नहीं है? क्या तुम इतना भी नहीं जानते कि धोती को थोड़ा नीचे खींच लेने से अँगुली ढक सकती है? मगर फिर भी तुम्हारे चेहरे पर बड़ी बेपरवाही, बड़ा विश्वास है! फोटोग्राफर ने जब ‘रेडी-प्लीज़’ कहा होगा, तब परंपरा के अनुसार तुमने मुस्कान लाने की कोशिश की होगी, दर्द के गहरे कुएँ के तल में कहीं पड़ी मुस्कान को धीरे-धीरे खींचकर ऊपर निकाल रहे होंगे कि बीच में ही ‘क्लिक’ करके फोटोग्राफर ने ‘थैंक यू’ कह दिया होगा। विचित्र है यह अधूरी मुस्कान। यह मुस्कान नहीं, इसमें उपहास है, व्यंग्य है!

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प्रेमचंद की आँखों में लेखक को क्या दिखाई देता है।

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पांव की उंगली का इशारा किसकी ओर था?

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