प्रेमचंद के फटे छे पाठ को आधार बनाकर परसाई जी ने यह त्यम्प लिख कि मनुष्य आज भी ऊपरी दिखने और पोशाक के आधार पर जाति विशेष को चयन करता है । साधारणत: ऊपरी बिसाने को ही महता दिया जाता है।
ऐसा किन कारणों से व्यंग्य किया गया आपको घी में वेशभूषा के प्रति लोगों की सोध में आज क्या परिवर्तन आपा है
(long answer type question)
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i M not able to understand the question
can u write it properly
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