"प्रेमचंद के फटे जूते अथवा
माटीवाली पाठ सारांश
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लेखक प्रेम चंद के फटे जूते को देखकर चिंता होकर कहता है कि फोटो खींचने की अगर पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी। जूते में बड़े छेद हो गया है उंगली बाहर निकल आए हैं।
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