प्रेमचंद के फटे जूते पाठ के लेखक द्वारा उनके जूते फटने का क्या कारण बताया गया है
Answers
➲ ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ के लेखक द्वारा जूते फटने का कारण समाज का पाखंड और समाज विडंबना को बताया जिसके कारण प्रेमचंद जैसे महान लेखक को अभावग्रस्त जीवन व्यतीत करना पड़ा और वह अपने लिये ढंग के जूते तक नही खरीद पाये।
व्याख्या ⦂
✎... ‘प्रेमचंद के फटे जूते’ पाठ में लेखक ‘हरिशंकर परसाई’ प्रेमचंद के फोटो में उनके फटे जूते देखकर लेखक समाज की विडंबना पर करारा व्यंग करते हुए कहता है कि जब मैं तुम्हारा फोटो देखता हूँ और उसमें तुम्हारा फटा जूता देखता हूँ, तो मुझे यह बात बेहद चुभती है। तुम महान कथाकार, उपन्यास सम्राट, युग-प्रवर्तक ना जाने क्या-क्या कहलाते थे। मगर तुम्हारे पास एक जोड़ी ढंग का जूता नहीं था, इसी कारण तुम्हें फोटो खिंचवाने के लिए फटा जूता पहनकर ही बैठना पड़ा, यही हमारे समाज की विडंबना है।
लेखक परसाई जी ने इस व्यंगात्मक लेख के माध्यम से महान साहित्यकार प्रेमचंद के जीवन की अंतिम दयनीय दशा को आधार बनाकर समाज के दोहरे चरित्र पर तीखा व्यंग किया है।
◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌
Explanation:
प्रेमचंद के जूते फटने का यह कारण है कि वह रास्ते में चलते हुए आए हुए पत्थरों को ठोकर मारते हुए चल रहे थे इसलिए उनका जूता फट गया और उनकी उंगलियां दिखने लगी|