प्रेमचंद को जनता के लेखक कहकर क्यों संबोधित किया गया है?
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इनकी रचनाओं में सामान्य जीवन से जुड़ी समस्याओं को ही प्रमुख स्थान दिया गया है। ग्रामीण संस्कृति तथा जनजीवन को तो इन्होंने अपनी कहानियों तथा उपन्यासों में जीवंत कर दिया है। इन्होंने तत्कालीन समाज की कुरीतियों पर करारा व्यंग्य किया है। इसलिए इन्हें 'जनता का लेखक' कहा गया है।
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प्रेमचंद महान साहित्यकार थे जिन्होंने समाज के उपेक्षित वर्गों के जीवन को अपनी कृतियों में स्थान दिया।प्रेमचंद अपने युग के महान कथाकार और उपन्यासकार थे। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी न होने से उन्होंने खुद गरीबी एवं दुख को अत्यंत निकट से देखा था। इसके अलावा प्रेमचंद पराधीन भारत में भारतीय किसानों और मजदूरों के प्रति अंग्रेजों द्वारा किए गए अत्याचार को देखा था। वे समाज में व्याप्त रूढ़ियों, कुरीतियों और धार्मिक बुराइयों में फंसे लोगों को देख रहे थे। इन्हीं बातों को उन्होंने अपनी कृतियों का विषय बनाया है। ‘पूस की रात’ में हलकू की समस्या, ‘गोदान’ .. में होरी की दुर्दशा, ‘मंत्र’ में डाक्टर चट्ढा की खेलप्रियता से सुजानभगत के बेटे की मृत्यु आदि का सजीव चित्रण करके जन सामान्य के दुख को मुखरित किया है। लेखक ने ‘जनता का लेखक’ कहकर जनसाधारण के प्रति उनके लगाव को बताना चाहा है।
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