English, asked by arvindsinhs721, 16 days ago

प्रेमचंद के किसी दो कहानी का सारांश लिखिए​

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Answered by richitavermadpsv
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Answer:

hope it's helpful to you!

Explanation:

सारांश : मुंशी प्रेमचंद की कहानी 'दो बैलों की कथा' को हम सब बचपन की किताबों में पढ़ चुके हैं। ... कहानी में झूरी की पत्नी है, जो हीरा-मोती से प्रेम करती है। कहानी में झूरी का साला गया भी है, जो क्रूर है। वो हीरा-मोती को अपने घर ले जाता है, और उनसे मेहनत बहुत करवाता है, पर वहीं खाने को कुछ नहीं देता।

Answered by Anonymous
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कहानी : नमक का दरोगा

सारांश : नमक का दरोगा कहानी समाज की यथार्थ स्थिति को उद्घाटित करती है। कहानी के नायक मुंशी वंशीधर एक ईमानदार और कर्तव्यपरायण व्यक्ति है, जो समाज में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की मिशाल कायम करता है । पंडित अलोपीदीन दातागंज के सबसे अधिक अमीर और इज्जतदार व्यक्ति थे। जिनकी राजनीति में भी अच्छी पकड़ थी। अधिकांश अधिकारी उनके अहसान तले दबे हुए थे। अलोपीदीन ने धन के बल पर सभी बर्गों के व्यक्तियों को गुलाम बना रखा था। दरोगा मुंशी वंशीधर उसकी नमक की गाड़ियों को पकड़ लेता है, और अलोपीदीन को अदालत में गुनाहगार के रूप में प्रस्तुत करता है, लेकिन वकील और प्रशासनिक अधिकारी उसे निर्दोष साबित कर देते हैं, जिसके बाद वंशीधर को नौकरी से बेदखल कर दिया जाता है। इसके उपरांत पंडित अलोपीदीन, वंशीधर के घर जाके माफी माँगता है और अपने कारोवार में स्थाई मैनेजर बना देता है तथा उसकी ईमानदारी और कर्त्तव्य निष्ठा के आगे नतमस्तक हो जाता है।

कहानी : बूढ़ी काकी

सारांश : वक्त के साथ बहुत कुछ बदल गया लेकिन मुंशी प्रेमचन्द की कहानी बूढ़ी काकी की काकी आज भी प्रासंगिक है। बुजुर्गों की बात चलती है तो प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द की मार्मिक कहानी बूढ़ी काकी याद हो आती है। बुजुर्ग को लोग नसीहत देते हैं। उनकी उपेक्षा करते हैं, अवहेलना करते हैं। मुंशी प्रेमचंद की कहानी बूढी काकी आज भी हमारे सामने आइने की तरह है।

कहानी : : पूस की रात

सारांश : पूस की रात: मुंशी प्रेमचंद ने कहानी 'पूस की रात' में भारतीय किसान की लाचारी का यथार्थ चित्रण किया है। जिसमें उत्तर भारत के किसी एक गाँव में हल्कू नामक एक गरीब किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था। किसी की जमीन में खेती करता था। पर आमदानी कुछ भी नहीं थी। उसकी पत्नी खेती करना छोडकर और कहीं मजदूरी करने कहती थी। हल्कू के लगान के तीर पर दूसरों की खेती थी। खेत के मालिक का बकाया था। हल्कू ने अपनी पत्नी से तीन रुपए माँगे। पत्नी ने देने से इनकार किया, ये तीन रुपिए जाडे की रातों से बचने के लिए, कंबल खरीदने के लिये जमा करके रखे थे। बाद में पूस की रातें जब आती हैं, तो किसान के खेत को नीलगाय बर्बाद कर चुके होते हैं। ये कहानी खेती-किसानी की कठिनाई बयान करती है, साथ ही पयालनवाद पर चोट करती है।

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