प्रेमचंद की कहानी नमक का दरोगा ना पड़े और नैतिकता पर आधारित एक कहानी लिखें
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यह कहानी निश्चित ही औपनिवेशिक शासन और उसकी नीतियों की कटु आलोचना है और इस कारण इसमें उनके व्यंग्य की अदभुत छटा के दर्शन होते हैं। कहानी का आरंभ ही इन पंक्तियों से होता है "जब नमक का नया विभाग बना और ईश्वर प्रदत्त वस्तु के व्यवहार करने का निषेध हो गया तो लोग चोरी छिपे इसका व्यापार करने लगे।
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