Hindi, asked by rajputjanvi500, 9 months ago

प्रेमचंद की कहानियां पढ़िए और किन्ही पांच कहानियों का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए​

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Answered by bhatiamona
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प्रेमचंद की कहानियां पढ़िए और किन्ही पांच कहानियों का सार एक तिहाई शब्दों में लिखिए​:

                                            ईदगाह कहानी

ईदगाह' भारत के महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद की एक कहानी द्वारा लिखी गई  है। यह कहानी एक लड़के के प्रति दादी के लिए प्यार और भावना की है | इस कहानी में छोटा लड़का जिसके मां-बाप की मौत हो चुकी थी, और वो अपनी दादी के पास रहता था और बहुत प्यार करता था| संघर्षों से पलते हुए, वो अपनी बचपन की ख्वाहिशों को पूरी करने के  बावजूद अपनी दादी का ख्याल रखता था और ईद के रोज़ ईदगाह से लौटते हुए, जब सब बच्चे अपने लिए खिलौने खरीद रहे होते थे, तो वो दादी के लिए चिमटा खरीदता है क्योंकि वो जानता है कि रोज़ाना रोटी बनाते वक्त दादी का हाथ जल जाते थे । इस कहानी से छोटे से लड़के की सोच और बड़ो के लिए भावना बताती है |

यह एक बेहद नाज़ुक कहानी जो एक  खूबसूरत नर्म अहसास को बताते  हुए है, यह ज़िंदगी का मतलब अपनी ख्वाहिशों के अलावा भी कुछ है। किसी दूसरे का दर्द, उसके एहसास की इज़्ज़त करना भी ज़रूरी है।

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                                   पूस की रात कहानी

पूस की रात कहानी प्रेमचंद जी  द्वारा लिखी गई है | कहानी ‘पूस की रात’ में हल्कू के माध्यम से कहानी कार ने भारतीय किसान की लाचारी का यथार्थ चित्रण किया है| कहानी  में हल्कू के माध्यम से कहानी कार ने भारतीय किसान की लाचारी का यथार्थ चित्रण किया है ।

यह कहानी  एक गाँव में हल्कू नामक एक गरीब किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था| हल्कू को अपनी खेत के मालिक का बकाया देना था | हल्कू ने आकर पत्नी  से कहा-सहना आया है, लाओ, जो रुपए रखे हैं, उसे दे दूँ। किसी तरह गला तो छूटे। बोली-तीन ही तो रुपए हैं, दे दोगे तो कंबल कहाँ से आवेगा?  उससे कह दो, फसल पर रुपए दे देंगे। अभी नहीं। मगर सहना मानेगा नहीं, घुड़कियाँ जमावेगा, गालियाँ देगा।  मालिक के तगादे और गालियों से डरकर उसने वे तीन रुपय निकलकर दे दिए । जमिंदार रुपिए लेकर चला गया|

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                                             पूस की रात कहानी

पूस की रात कहानी प्रेमचंद जी  द्वारा लिखी गई है | कहानी ‘पूस की रात’ में हल्कू के माध्यम से कहानी कार ने भारतीय किसान की लाचारी का यथार्थ चित्रण किया है ।  

यह कहानी  एक गाँव में हल्कू नामक एक गरीब किसान अपनी पत्नी के साथ रहता था ।  

हल्कू  किसी और की जमीन में खेती करता था । उसकी आमदनी कुछ भी नहीं थी । हल्कू की  पत्नी खेती करना छोड़कर और कहीं मजदूरी करने लग जाती है |

हल्कू के खेत के मालिक उसे बहुत तंग करते थे | मालिक उसे रोज़ गलियां हर कुछ बोलते थे | उसे खेत के मालिक का 3 रूप बकाया देने के लिए अपनी पत्नी के जमा किए हुए रुपए मांग कर उसे देता है |  

पूस की रात में ठंड में बिना कम्बल के सोते है |  कहानी में एक दुर्बल किसान के जीवन के बारे बताया गया है | किस प्रकार वह मेहनत करके पैसा कमाता है और बचाता है, फिर भी वह जाड़े की ठंड में सोता है , मालिक की डांट खाता है | बहुत प्रकार के कष्ट सहन करता | वह दुर्बल है , गरीब है उसके पास हिम्मत नहीं की वह न्याय के लिए लड़ाई कर सके |

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                                       अनाथ लड़की कहानी

अनाथ लड़की कहानी मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखी गई|   कहानी में रोहिणी नाम की लड़की के जीवन का वर्णन किया गया है|  

रोहिणी एक अनाथ लड़की होती है| वह उसकी माँ कपड़े सिल कर करके अपने परिवार का निर्वाह करती है|  एक दिन सेठ पुरुषोत्तमदास पूना की सरस्वती पाठशाला का मुआयना करने के बाद बाहर निकले तो एक लड़की ने दौड़कर उनका दामन पकड़ लिया। रोहिणी उन्हें अपने पिता कहने लगी और कहती मुझे अपने साथ ले चलो और अपनी बेटी बना लो | सेठ ने कहा तुम पहले अच्छे खुब मन लगाकर पढ़ाई करनी होगी | सेठ ने रोहिणी को गाड़ी में बिठाया और कहा घर छोड़ देता हूँ | रोहिणी को बहुत सारे खिलौने लेकर दिए | रोहिणी बहुत खुश से पागल थी| बहुत समय के बाद रोहिणी के जीवन में खुशियाँ आई थी|

नरोत्तमदास सेठ पुरुषोत्तमदास के पुत्र थे | नरोत्तमदास कई साल तक अमेरिका और जर्मनी की युनिवर्सिटियों की खाक छानने के बाद इंजीनियरिंग विभाग में कमाल हासिल करके वापस आए थे। अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित कालेज में उन्होंने सम्मान का पद प्राप्त किया था। अमेरिका के अखबार एक हिन्दोस्तानी नौजवान की इस शानदार कामयाबी पर चकित थे।

रोहिणी की पढ़ाई पूरी हो गई थी | अब उसकी उम्र शादी की हो गई थी | सेठ पुरुषोत्तमदास ने अपने पुत्र की शादी रोहिणी से करवा दी और अपनी घर की बहु बना लिया | रोहिणी उनके पास आयी और उनके पैरो से लिपट गयी। सेठ जी ने उसे उठाकर गले से लगा लिया और हँसकर बोले—क्यों, अब तो तुम मेरी अपनी बेटी बन गई हो |

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                     कहानी – सुभागी – (लेखक – मुंशी प्रेमचंद )

तुलसी महतो का बेटा रामू और बेटी सुभागी थी | तुलसी ने दोनों की शादी कर दी | परंतु अचानक सुभागी विधवा हो गई  थी | सुभागी की उम्र बहुत छोटी थी वह माता-पिता के पास रहकर उनकी सेवा करने लगी | वह घर का सारा काम करती और रामू कुछ भी नहीं करता| रामू अपनी बहन से जलता था| रामू अलग रहने लगा | अपने माता-पिता की देहांत के बाद वह अकेली रह गई |वह अपने पिता के अंतिम क्रिया-कर्म पर कर्जा लेने की देनदार थी| कड़ी मेहनत करने के बाद उसने सजनसिंह तीन सौ रुपए महीने की क़िस्त से कर्जा चुकाया |  

सुभागी का अच्छा स्वभाव देखकर सजनसिंह उसे अपनी घर की बहु बनाने का निश्चय करता है|  सुभागी भी उनके घर की बहु बनने को तैयार हो जाती है | सजनसिंह से सुभागी को भगवती का अवतार कहा और उसके सर पर हाथ रखकर कहा तुम्हारा सुहाग अमर रहे | तुम्हें बहु के रूप में पाकर हम धन्य हो गए |

Answered by mahendrasingh5900
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