प्रेमचंद के साथ क्या विडंबना रही है
Answers
Answered by
4
Answer:
प्रेमचंद के मुसकराने में लेखक को यह व्यंग्य नज़र आता है कि मानो प्रेमचंद उनसे कह रहे हों कि मैंने भले ही चट्टानों से टकराकर अपना जूता फाड़ लिया हो पर मेरे पैर तो सुरक्षित हैं और चट्टानों से बचकर निकलने वाले तुम लोगों के जूते भले ही ठीक हों पर तलवे घिसने के कारण तुम्हारा पंजा सुरक्षित नहीं है और लहूलुहान हो रहा है।
Explanation:
Please follow me and mark me as brainliest also like me
Answered by
1
Explanation:
प्रेमचंद जैसे उच्च कोटि के साहित्यकार के धनहीन होने की विडम्वना है।
Similar questions