Hindi, asked by harsh345678, 3 months ago

प्रेमचंद के साथ क्या विडंबना रही है​

Answers

Answered by WRlegend
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Answer:

प्रेमचंद के मुसकराने में लेखक को यह व्यंग्य नज़र आता है कि मानो प्रेमचंद उनसे कह रहे हों कि मैंने भले ही चट्टानों से टकराकर अपना जूता फाड़ लिया हो पर मेरे पैर तो सुरक्षित हैं और चट्टानों से बचकर निकलने वाले तुम लोगों के जूते भले ही ठीक हों पर तलवे घिसने के कारण तुम्हारा पंजा सुरक्षित नहीं है और लहूलुहान हो रहा है।

Explanation:

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Answered by deepak35679
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Explanation:

प्रेमचंद जैसे उच्च कोटि के साहित्यकार के धनहीन होने की विडम्वना है।

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