प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट क्यों कहा जाता है स्पष्ट कीजिए
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vah ek purane lekhak the kahani or upanyase ke lekhak the esliye unhe upanyas ka samrat kahte hai.
Answer: शरत चंद्र चट्टोपाध्याय ने हिंदी और उर्दू के महान लेखकों में सम्मिलित प्रेमचंद को उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था ।
प्रेमचंद ने यथार्थवादी परंपरा का चलन आरंभ किया था । उनकी लेखन शैली हिंदी साहित्य की ऐसी विरासत है जो हिंदी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देकर उसे समृद्धि प्रदान करती है । उनके उपन्यासों को हिंदी साहित्य जगत में बहुत लोकप्रियता हासिल हुई ।
उनके प्रमुख उपन्यासों में सेवासदन, गोदान, गबन ,कायाकल्प ,रंगभूमि, प्रेमाश्रय और कर्मभूमि आदि है । प्रेमचंद के उपन्यासों में आदर्श उन्मुख यथार्थवाद के सुर उजागर होते हैं उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक कुरीतियों का डटकर विरोध किया । वे सामान्य जनजीवन तथा मानवीय प्रकृति के चतुर चितेरे थे ।
उन्होंने समाज में छिपी स्वार्थवृत्ति, आडंबर ,कुरीतियां तथा प्रलोभन की शुद्र वृत्ति से सराबोर किरदारों का अपने उपन्यासों में यथा योग्य चित्रण किया । साथ ही नैतिकता के आधार पर एक आदर्श किरदार निभा रहे ऐसे चरित्र भी प्रकाशित किए हैं जो सूक्ष्म से सूक्ष्म मानवी चेतना को देवत्व तक पहुँचाते प्रस्तुत होते हैं ।
प्रेमचंद के उपन्यासों में पाठक को जहां धाराप्रवाह सहजता प्राप्त होती है वहीं पर एक नैतिक संदेश भी मिलता है । उन्होंने हिंदी की कहानियों में तथा उपन्यास की विधा में ऐसी परंपरा का विकास किया जिसने आगे आने वाले समग्र हिंदी साहित्य का पथ प्रदर्शित किया । वे वास्तव में उपन्यास सम्राट थे ।