प्रेमचंद का व्यक्तित्व एवं कृतित्व सपोर्ट करें
Answers
भोपाल।हिंदी कहानियों के सम्राट मुंशी प्रेमचंद के कहानियों और उपन्यासों की प्रासंगिकता आज भी कायम है। उनके उपन्यास और कहानियों में किसानों, मजदूरी और वर्ग में बंटे हुए समाज का दर्द उभरता है और यही बात आज भी मुंशी प्रेमचंद को दूसरे लेखकों से कहीं बड़ा बनाती है। मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिवस पर 31 जुलाई (बुधवार) को स्टेट म्युजियम में मुंशी प्रेमचंद पर केंद्रित कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
क्लब लिटराटी की ओर से आयोजित कार्यक्रम में शाम 5:00 बजे दिल्ली पब्लिक स्कूल के स्टूडेंट्स नीति श्रीवास्तव के डायरेक्शन में ईदगाह कहानी का मंचन करेंगे। इसके बाद दूसरे चरण में प्रेमचंद से संवाद विषय पर डिस्कशन होगा। इसमें प्रेमचंद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर लेखक ध्रुव शुक्ल, उदयन वाजपेयी और संगीता गुंदेचा अपनी बात रखेंगी।
प्रेमचंद का व्यक्तित्व एवं कृतित्व
प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी के लमही गाँव में हुआ था। प्रेमचंद ने लगभग बारह, उपन्यास तीन सौ के करीब कहानियाँ, कई लेख एवं नाटक लिखे हैं।
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद को कहते है | प्रेमचंद महानतम भारतीय लेखकों में से एक हैं। इन्हें हिन्दी साहित्य का कथानायक और उपन्यास सम्राट कहा जाता है। हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में प्रेमचंद का योगदान अतुलनीय है।
सादा एवं सरल जीवन के मालिक प्रेमचंद सदा मस्त रहते थे। भारत के उपन्यास सम्राट माने जाते हैं भारत के हिन्दी साहित्य में प्रेमचन्द का नम अमर है। मुंशी प्रेमचंद को हिंदी और उर्दू साहित्य के आधुनिक क्षेत्र के महान लेखकों में से एक माना जाता है। मुंशी प्रेमचंद्र द्वारा लिखे गये उपन्यासों को बाद में कई फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों में प्रसारित किया गया।
हिंदी साहित्य की बात की जाए तो प्रेमचंद का खास स्थान है। प्रेमचंद की कहानियां आज भी चर्चित हैं, उन्होंने काफी सारी कहानियाँ प्रेम कथा पर भी लिखी है। मुंशी प्रेमचंद हिंदी कथा साहित्य के महान साहित्यकार माने जाते हैं। उन्होंने कहानी के साथ- साथ उपन्यास लेखन किया। उनकी प्रसिद्धि को आलम यह है कि उन्हें उपन्यास सम्राट कहा जाता है।