प्रेमचंद ने उस पर जूता क्यों आजमाया
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अन्धविश्वासों के विरोधी-प्रेमचन्द ने सामाजिक विकास में बाधक परम्पराओं का विरोध किया है जैसे-'कोई टीला जो रास्ते पर खड़ा हो गया था, उस पर तुमने अपना जूता आजमाया। ' अर्थात् वे कुरीतियों और रूढ़िवादी परम्पराओं रूपी टीलों को ठोकर मार कर उनका विरोध करते हैं।
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