Hindi, asked by kuldeepkumar96900, 23 days ago

प्रेमचंद्र की स्त्री विषयक धारणा पर प्रकाश डालिए।​

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Answered by Anonymous
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प्रेमचंद जी एक ऐसे लेखक थे जिन्होंने न सिर्फ नारी की दयनीय स्थिति को अपनी रचनाओं में उद्धृत किया बल्की नारी को पुरुष के समान अधिकार की भी बात सामने रखी| इनकी रचनाओं में नारी पात्र दीन दुखी तो है पर वह सशक्त है; वह अपने साथ हो रहे अत्याचारों के खिलाफ लड़ने में सक्षम भी है, तभी तो वे अपने कालजयी उपन्यास में उस दौर में ...

Answered by Anonymous
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प्रेमचंद के नारी पात्रों में शहरीय वर्ग, गाँव का किसान समुदाय और अभिजात्य वर्ग के दर्शन होते हैं। अतः इनके व्यवहार, आचरण, प्रतिक्रियाओं पर सामंती आर्थिक व्यवस्था का पूरा प्रभाव दिखता है। उनकी कृतियों में सामाजिक परिस्थितियाँ सत्यता लिए हुये ज्यों की त्यों नज़र आती है, इनकी लेखनी में कहीं कोई काल्पनिकता का आभास नहीं होता। इनकी रचनाओं में असफलताएँ भी नजर आती है और सफलताओं द्वारा नई दिशा भी दिखाई देती है। प्रेमचंद जी के नारी पात्रों में हम एक माँ, पत्नी, प्रेमिका, बहन, सौतेली माँ, दोस्त, बदचलन, वेश्या, भाभी, ननंद, समाज सुधारक, देशप्रेमी, परिचारिका, आश्रिता आदि कई रिश्ते भी दिखाई देते हैं।

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