प्रेमचंद्र सहज जीवन में विश्वास रखते थे सिद्ध कीजिए
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प्रेमचंद सहज जीवन में विश्वास रखते थे सिद्ध कीजिए :
प्रेमचंद सहज जीवन में विश्वास रखते थे |
व्याख्या :
प्रेमचंद सरल जीवन व्यतीत करना पसंद करते थे | वह अपना जीवन ईमानदारी के साथ व्यतीत करते थे | उन्हें अपने जीवन दिखावा पसंद नहीं था | वह सादगी से जीवन व्यतीत करने की सलाह देते थे | प्रेमचंद एक स्वाभिमानी व्यक्ति थे। उन्होंने अपनी रचनाओं में आदर्श, व्यक्तित्व की दृढ़ता, देश के प्रति प्रेम, स्वाभिमान को सबसे ऊपर रखा है |
प्रेमचंद सहज जीवन में विश्वास रखते थे यह इससे सिद्ध होता है कि वे अपनी जीवनी को अपने लेखन के माध्यम से उजागर करते थे।
- मुंशी प्रेमचंद राष्ट्र कवि थे। उनका जीवन सादा व सरल था, उन्हें आडंबर या दिखावा बिल्कुल पसंद न था।
- इतने महान लेखक होने के बावजूद उनमें रत्ती भर भी अहंकार नहीं था।
- गोदान उनकी सर्वोत्तम कृति है। इस कृति में उन्होंने भारतीय किसान की दयनीय स्थिति को दर्शाया है, अपने खेत व गाय को बचाने के लिए एक किसान जीवन भर संघर्ष करता रहता है।
- " बड़े भाई साहब " में भी उन्होंने यह सीख दी है कि छोटों को बड़ो का सम्मान करना चाहिए।
प्रेमचन्दजी का बचपन
- उनका नाम धनपतराय था। बचपन में ही मां का साया सर से उठ गया। सौतेली मां का व्यवहार
निर्दयी था। पिताजी भी फटकार लगाया करते थे।
उनकी रचनाएं
- उन्होंने प्रारंभिक रचनाएं नवाबराय के नाम से उर्दू में प्रकाशित की थी।
- उनकी प्रमुख रचनाओं में गोदान, नमक का दरोगा, कफ़न, पूस की रात, ईदगाह, बूढ़ी काकी, पंच परमेश्वर, कजाकी, रंगभूमि, कर्मभूमि आदि है।