प्रेमचंद्र द्वारा लिखे गए दो ग्रंथ
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उपन्यास
प्रेमचंद
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विषय
उपन्यास
प्रकाशक
डायमण्ड पाकेट बुक
प्रकाशन तिथि
1919 में पहली बार हिन्दी में प्रकाशित
पृष्ठ
२८०
आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰
81-284-0002-9
असरारे मआबिद- उर्दू साप्ताहिक आवाज-ए-खल्क़ में 8 अक्टूबर 1903 से 1 फरवरी 1905 तक धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ। कालान्तर में यह हिन्दी में देवस्थान रहस्य नाम से प्रकाशित हुआ।
हमखुर्मा व हमसवाब- इसका प्रकाशन 1907 ई. में हुआ। बाद में इसका हिन्दी रूपान्तरण 'प्रेमा' नाम से प्रकाशित हुआ।
किशना- इसके सन्दर्भ में अमृतराय लिखते हैं कि- "उसकी समालोचना अक्तूबर-नवम्बर 1907 के 'ज़माना' में निकली।" इसी आधार पर 'किशना' का प्रकाशन वर्ष 1907 ही कल्पित किया गया।[12]
रूठी रानी- इसे सन् 1907 में अप्रैल से अगस्त महीने तक ज़माना में प्रकाशित किया गया।
जलवए ईसार- यह सन् 1912 में प्रकाशित हुआ था।
सेवासदन- 1918 ई. में प्रकाशित सेवासदन प्रेमचंद का हिन्दी में प्रकाशित होने वाला पहला उपन्यास था। यह मूल रूप से उन्होंने 'बाजारे-हुस्न' नाम से पहले उर्दू में लिखा गया लेकिन इसका हिन्दी रूप 'सेवासदन' पहले प्रकाशित हुआ। यह स्त्री समस्या पर केन्द्रित उपन्यास है जिसमें दहेज-प्रथा, अनमेल विवाह, वेश्यावृत्ति, स्त्री-पराधीनता आदि समस्याओं के कारण और प्रभाव शामिल हैं। डॉ रामविलास शर्मा 'सेवासदन' की मुख्य समस्या भारतीय नारी की पराधीनता को मानते हैं।
प्रेमाश्रम (1922)- यह किसान जीवन पर उनका पहला उपन्यास है। इसका मसौदा भी पहले उर्दू में 'गोशाए-आफियत' नाम से तैयार हुआ था लेकिन इसे पहले हिंदी में प्रकाशित कराया। यह अवध के किसान आन्दोलनों के दौर में लिखा गया। इसके सन्दर्भ में वीर भारत तलवार किसान राष्ट्रीय आन्दोलन और प्रेमचन्द:1918-22 पुस्तक में लिखते हैं कि- "1922 में प्रकाशित 'प्रेमाश्रम' हिंदी में किसानों के सवाल पर लिखा गया पहला उपन्यास है। इसमें सामंती व्यवस्था के साथ किसानों के अन्तर्विरोधों को केंद्र में रखकर उसकी परिधि के अन्दर पड़नेवाले हर सामाजिक तबके का-ज़मींदार, ताल्लुकेदार, उनके नौकर, पुलिस, सरकारी मुलाजिम, शहरी मध्यवर्ग-और उनकी सामाजिक भूमिका का सजीव चित्रण किया गया है।"[13]
रंगभूमि (1925)- इसमें प्रेमचंद एक अंधे भिखारी सूरदास को कथा का नायक बनाकर हिंदी कथा साहित्य में क्रांतिकारी बदलाव का सूत्रपात करते हैं।
निर्मला (1925)- यह अनमेल विवाह की समस्याओं को रेखांकित करने वाला उपन्यास है।
कायाकल्प (1926)
अहंकार - इसका प्रकाशन कायाकल्प के साथ ही सन् 1926 ई. में हुआ था। अमृतराय के अनुसार यह "अनातोल फ्रांस के 'थायस' का भारतीय परिवेश में रूपांतर है।"[14]
प्रतिज्ञा (1927)- यह विधवा जीवन तथा उसकी समस्याओं को रेखांकित करने वाला उपन्यास है।
गबन (1928)- उपन्यास की कथा रमानाथ तथा उसकी पत्नी जालपा के दाम्पत्य जीवन, रमानाथ द्वारा सरकारी दफ्तर में गबन, जालपा का उभरता व्यक्तित्व इत्यादि घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है।
कर्मभूमि (1932)-यह अछूत समस्या, उनका मन्दिर में प्रवेश तथा लगान इत्यादि की समस्या को उजागर करने वाला उपन्यास है।
गोदान (1936)- यह उनका अन्तिम पूर्ण उपन्यास है जो किसान-जीवन पर लिखी अद्वितीय रचना है। इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद 'द गिफ्ट ऑफ़ काओ' नाम से प्रकाशित हुआ।
मंगलसूत्र (अपूर्ण)- यह प्रेमचंद का अधूरा उपन्यास है जिसे उनके पुत्र अमृतराय ने पूरा किया। इसके प्रकाशन के संदर्भ में अमृतराय प्रेमचंद की जीवनी में लिखते हैं कि इसका-"प्रकाशन लेखक के देहान्त के अनेक वर्ष बाद 1948 में हुआ।"[15]
कहानी
मानसरोवर
इनकी अधिकतर कहानियोँ में निम्न व मध्यम वर्ग का चित्रण है। डॉ॰ कमलकिशोर गोयनका ने प्रेमचंद की संपूर्ण हिंदी-उर्दू कहानी को प्रेमचंद कहानी रचनावली नाम से प्रकाशित कराया है। उनके अनुसार प्रेमचंद्र ने अपने जीवन में लगभग 300 से अधिक कहानियाँ तथा 18 से अधिक उपन्यास लिखे है| इनकी इन्हीं क्षमताओं के कारण इन्हें कलम का जादूगर कहा जाता है| प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह सोज़े वतन(राष्ट्र का विलाप) नाम से जून 1908 में प्रकाशित हुआ। इसी संग्रह की पहली कहानी दुनिया का सबसे अनमोल रतन को आम तौर पर उनकी पहली प्रकाशित कहानी माना जाता रहा है। डॉ॰ गोयनका के अनुसार कानपुर से निकलने वाली उर्दू मासिक पत्रिका ज़माना के अप्रैल अंक में प्रकाशित सांसारिक प्रेम और देश-प्रेम (इश्के दुनिया और हुब्बे वतन) वास्तव में उनकी पहली प्रकाशित कहानी है।[16]
उनकी कुछ कहानियों की सूची नीचे दी गयी है-
1. अन्धेर
2. अनाथ लड़की
3. अपनी करनी
4. अमृत
5. अलग्योझा
6. आखिरी तोहफ़ा
7. आखिरी मंजिल
8. आत्म-संगीत
9. आत्माराम
10. दो बैलों की कथा
11. आल्हा
12. इज्जत का खून
13. इस्तीफा
14. ईदगाह
15. ईश्वरीय न्याय
16. उद्धार
17. एक आँच की कसर
18. एक्ट्रेस
19. कप्तान साहब
20. कर्मों का फल
21. क्रिकेट मैच
22. कवच
23. कातिल
24. कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला
25. कौशल़
26. खुदी
27. गैरत की कटार
28. गुल्ली डण्डा
29. घमण्ड का पुतला
30. ज्योति
31. जेल
32. जुलूस
33. झाँकी
34. ठाकुर का कुआँ
35. तेंतर
36. त्रिया-चरित्र
37. तांगेवाले की बड़
38. तिरसूल
39. दण्ड
40. दुर्गा का मन्दिर
41. देवी
42. देवी - एक और कहानी
43. दूसरी शादी
44. दिल की रानी
45. दो सखियाँ
46. धिक्कार
47 धिक्कार - एक और कहानी
48. नेउर
49. नेकी
50. नबी का नीति-निर्वाह
51. नरक का मार्ग
52. नैराश्य
53. नैराश्य लीला
54. नशा
55. नसीहतों का दफ्तर
56. नाग-पूजा
57. नादान दोस्त
58. निर्वासन
59. पंच परमेश्वर
60. पत्नी से पति
61. पुत्र-प्रेम
62. पैपुजी
63. प्रतिशोध
64. प्रेम-सूत्र
65. पर्वत-यात्रा
66. प्रायश्चित
67. परीक्षा
68. पूस की रात
69. बैंक का दिवाला
70. बेटोंवाली विधवा
71. बड़े घर की बेटी
72. बड़े बाबू
73. बड़े भाई साहब
74. बन्द दरवाजा
75. बाँका जमींदार
76. बोहनी
77. मैकू
78. मन्त्र
79. मन्दिर और मस्जिद
80. मनावन