प्रेमचंद द्वारा रचित 'नशा' कहानी की समीक्षा कीजिए (pls give me a correct answer for long marks)
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नशा‘ प्रेमचन्द की ही नहीं, हिन्दी की श्रेष्ठ कहानियों में अन्यतम है। अपनी यथार्थवादी संवेदना के नाते वे परिस्थितियों से संघर्ष करनेवाले चरित्रों को सबसे अधिक सहानुभूति देते थे। नशा के पात्र वीर की विडम्बनापूर्ण स्थिति का चित्रण किया गया है। अपनी स्थिति को भूल वह अपने मित्र ईश्वरी जैसा मान-सम्मान और आदर पाना चाहता है। इसी के चलते वह ईश्वरी के गाँव पहुँकर नौकरो से उद्दण्डतापूर्ण व्यवहार करता है। दूसरी ओर राष्ट्रवादी जमींदार होने का दंभ भरता है। गाँधीभक्त ठाकुर से डींग हाँकता है-“हम लोग तो तैयार बैठे हुए हैं, ज्यों ही स्वराज्य हुआ, अपने सारे इलाके असामियों के नाम हिला कर देंगे।“ यह कथन उनकी सारी मनो अभिलाषाओं को प्रकट कर देता है। मनोविज्ञान के आधार पर बहुत ही प्रखर सत्य को उद्घाटित किया है प्रेमचन्द ने।
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