प्रामक अयोगिरिरात गयाशं पहिला
प्रप्पुक्यानि सष्ठ भत्ययपदानि तिवा
लिएको
महगावीरे एक साधु मारीतासा:
संवा उपकार करोति मा च
भपकार करोति तस्य अपि उपकार करोति
रस। एकदा सा स्नान कर्व नही
गतवान बज नदी प्रवाट एक: वृश्चिक
मागात । साविकष्टवा एक्लेन
टीतवान , पही साधूश्विक तीर
स्थापयि प्रपस कृतवान वदा तृप्लिक
सायो स्तम खशात । साधु त त्यक्त्या
वृश्लिकाजले अपटूता पुनः साधु
तस्तिक रिवा तोरे स्यापयित प्रथम
कृतवान पुत्र वृश्चिक हस्तम् मशात
एवम् मकवारसाए प्रकय कुलवार
कलाया: लार स्तिवाद वृश्विक
रहा वन्तु मला दशनस्पस्तूयात न
त्यवति तर्षि वर्य मावा पोकारस्य
स्चयान कन्यामधाम ।
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kh child kjjjjjkkkpok
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