प्रा. निलिखित गचामा को पानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
विद्यार्थी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हुड़ी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी विद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही समकार अमिट रहते हैं। इसीलिए यह कात मानव जीवन की आधारशिला कहा गया है। पदि पह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सुष्टद और सुखी बन जाता है। यदि इस कात में बातक का सहन कर लेता है तो उसका स्वास्प सून्दर बनता है। यदि वह मन लगाकर अध्ययन कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है। जिस वृक्ष को प्रारंभ से अच्छी तरह पानी और खाद मित जाती है वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी-काल में जो बातक श्रम अनुशासन, समय, एवं संयम के सांचे में दांत जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है। सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है उन गुणों के लिए विद्या कात सबसे उत्तम पाठशाला है। यहाँ पर अपने साथियों के बीच रहकर वे सभी गुण जान सकते हैं, जिनकी विद्यार्थी को अपने जीवन
काल में आवश्यकता होती है। (क)विद्यापी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी क्यों माना गया है। (2)
रखा सभ्य नागरिक कैसे बना जा सकता है। (ग) जिस वृक्ष को प्रारंभ में खाद मिल जाती है, वह कैसा हो जाता है। (2)
(घ) कोई दो भाववाचक संज्ञा शब्द चुनकर लिखिया (कागद्याश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए
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जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हुड़ी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी विद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही समकार अमिट रहते हैं। इसीलिए यह कात मानव जीवन की आधारशिला कहा गया है। पदि पह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सुष्टद और सुखी बन जाता है। यदि इस कात में बातक का सहन कर लेता है तो उसका स्वास्प सून्दर बनता है। यदि वह मन लगाकर अध्ययन कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है। जिस वृक्ष को प्रारंभ से अच्छी तरह पानी और खाद मित जाती है वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी-काल में जो बातक श्रम अनुशासन, समय, एवं संयम के सांचे में दांत जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है। सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है उन गुणों के लिए विद्या कात सबसे उत्तम पाठशाला है। यहाँ पर अपने साथियों के बीच रहकर वे सभी गुण जान सकते हैं, जिनकी विद्यार्थी को अपने जीवन
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(घ) कोई दो भाववाचक संज्ञा शब्द चुनकर लिखिया (कागद्याश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए
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प्रा. निलिखित गचामा को पानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
विद्यार्थी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हुड़ी कहें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी विद्यार्थी काल में बालक में जो संस्कार पड़ जाते हैं, जीवन भर वही समकार अमिट रहते हैं। इसीलिए यह कात मानव जीवन की आधारशिला कहा गया है। पदि पह नींव दृढ़ बन जाती है तो जीवन सुष्टद और सुखी बन जाता है। यदि इस कात में बातक का सहन कर लेता है तो उसका स्वास्प सून्दर बनता है। यदि वह मन लगाकर अध्ययन कर लेता है तो उसे ज्ञान मिलता है, उसका मानसिक विकास होता है। जिस वृक्ष को प्रारंभ से अच्छी तरह पानी और खाद मित जाती है वह पुष्पित एवं पल्लवित होकर संसार को सौरभ देने लगता है। इसी प्रकार विद्यार्थी-काल में जो बातक श्रम अनुशासन, समय, एवं संयम के सांचे में दांत जाता है, वह आदर्श विद्यार्थी बनकर सभ्य नागरिक बन जाता है। सभ्य नागरिक के लिए जिन-जिन गुणों की आवश्यकता है उन गुणों के लिए विद्या कात सबसे उत्तम पाठशाला है। यहाँ पर अपने साथियों के बीच रहकर वे सभी गुण जान सकते हैं, जिनकी विद्यार्थी को अपने जीवन
काल में आवश्यकता होती है। (क)विद्यापी जीवन को मानव जीवन की रीढ़ की हड्डी क्यों माना गया है। (2)
रखा सभ्य नागरिक कैसे बना जा सकता है। (ग) जिस वृक्ष को प्रारंभ में खाद मिल जाती है, वह कैसा हो जाता है। (2)
(घ) कोई दो भाववाचक संज्ञा शब्द चुनकर लिखिया (कागद्याश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए
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i this not solve you this bhashn