प्र.निम्नलिखित कानयाधा की पढ़कर पूछे गाए प्रजों के
उत्तरदो।
1.
अपने क्लासे खिला घुला मर
घुला पोंछ सिमस्जित करगार
थमा बिलौने नहीं सुमाही
हमें सुखद 'परीयों की बात
कविता और कवि का नाम लिये।
।
Answers
Answer:
तो लोगों ने कहा, अरे वाह !
यह तुम क्या कर गये, तुम तो कवि बन गये।
मिली तुम्हें कहां से ये प्रेरणा,
जो तुम रातों रात सितारा बन गये।
यह सुनकर हम हक्के-बक्के रह गये,
खोज़ में उस प्रेरणा की अब हम चल पड़े।
कई रातों की नींद उड़ा जब हमें वह न मिली,
तो मन में एक छोटा सा विचार आया कि
कवि ने कविता क्यों है लिखी?
बस चिंगारी को हवा का झोंका मिल गया,
और घर में हमारे कवियों की पुस्तकों का अम्बार
लग गया।
देख पिताश्री ने यह सब,अपनी भृकुटि तनाई,
प्रतियोगिता की तैयारी छोड़ यह कौन सी सनक
चढ़ आई।
डरते हुए उनसे यह प्रश्न पूछ लिया,
कवि क्यों करता है,कविता?
यह सुन बोले पिताश्री, पेट में होती यदि तुम्हारे,
भूख की आग, ना बनते तुम यों कवि।
जिसे मुफ्त में खाने को मिले,
उसे सोचने का समय ही समय मिले।
जब खुद कमाना पड़े तब इस प्रश्न का उत्तर तुम्हें मिले
हम रुंआसे से किताबों को निहारने लगे,
सामने पड़ी निराला जी की जीवनी को पढ़ने लगे।
पढ़ते-पढ़ते पिताजी का उत्तर गलत हो गया,
क्योंकि निराला जी भूखे पेट कविता कर कालजयी हो गये
और इस तरह हमारा प्रश्न निरुत्तर रह गया।
थोड़ी देर में मित्रों की टोली का हमारे घर में प्रवेश हो गया,
शायद उन्हें हमारे प्रश्न का ज्ञान हो गया।
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