प्र
निम्नलिखितगढ्यांशों कासार लगभग एक-तिहाईशब्दों में शीर्षक सहित लिखिए-
1. मैं नदी हूँ। बचपन से ही पिता के लाड़ प्यार ने मुझमें स्वच्छंदता की प्रवृत्ति भर दी थी। पिता की गोद से निकलकर कल-कल करती हुई में
गति से आगे बढ़ती गई। सूर्य, चंद्र और तारों ने अपने प्रकाश से मुझको राह दिखाई। कभी-कभी छोटे पत्थरों ने मेरी राह रोकने का प्रयास
किंतु वे मेरे प्रवाह के आगे टिक नहीं पाए। हिमशिखरों को पीछे छोड़ती, मैदानी समतल भागों से होती, अनेक गाँवों को हरा-भरा करती
विस्तृत और गहरी हो गई हूँ। जब मुझपर आक्रोश सवार होता है, तो मेरा विवेक नष्ट हो जाता है और मैं कगारों को तोड़ती हुई, खेतों खलिहा
जाती हूँ। मेरी अबाध गति के कारण लोग त्राहि-त्राहि करने लगते हैं। इसी तरह बिना रुके मैं अपनी मंज़िल तय करती हुई समुद्र में।
में
घुस
मिलती हूँ।
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शीर्षक-
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ये सब क्या है! इतना बडा!!
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निर्मल जलधारा
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