Hindi, asked by saritamahto748, 3 months ago

पुराना पानी नाम किसे दिया गया​

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Answered by afsana620ali
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Answer:

काला पानी का नाम सुनते ही जे़हन में आज़ादी की लड़ाई के बांकुरों की याद आना स्वाभाविक होता है। अण्डमान और नीकोबार द्वीप समूह में बनी काल कोठरियों की तस्वीरें आँख के सामने उभरने लगती हैं जहाँ देश की आज़ादी के लिए लड़ने वाले उन दीवानों को अंग्रेजों ने न जाने कितनी यातनाएँ दी होंगी। काला पानी की जिन्हें सजा हुई उनमें से लौटने की कल्पना शायद ही किसी ने की हो। कुछ खुशनसीब वहाँ से लौटे जरूर पर उनके दिलों में यह हसरत दबी रह गई कि देश के लिए जान कुर्बान कर देने का उनका सपना अधूरा रह गया।

सुदूर द्वीपों में बनी उन काल-कोठरियों और उससे जुड़ी त्रासदी को जिस किसी ने भी पहली बार काला पानी कहा होगा वह निश्चित ही भविष्य द्रष्टा रहा होगा। मगर बागमती नदी के किनारे बसे या उजड़े उस जगह की बात हम यहाँ करने जा रहे हैं जहाँ रहने वाले आजाद रहते हुए और खुली हवा में साँस लेते हुए भी काला पानी जैसी त्रासदी झेलने को अभिशप्त हैं भले ही वह उन्हें किसी विदेशी शासक के सामने सीधा खड़ा रहने की सज़ा के तौर पर न मिली हो। यह वह जगह है जहाँ सीतामढ़ी जिले के बेलसण्ड और रुन्नी सैदपुर प्रखण्डों की एक अच्छी खासी आबादी को काला पानी नहीं भेजा गया बल्कि काला पानी को ही उनके पास भेजदिया गया।

फर्क सिर्फ इतना ही है कि इस सज़ा के भुगतने वालों का हुकूमत की नजरों में भी कोई कसूर नहीं था। हुआ यह कि नेपाल से भारत (बिहार) में प्रवेश करने वाली बागमती नदी पर 1970 के दशक में सीतामढ़ी जिले में ढेंग से रुन्नी सैदपुर तक तटबन्ध बनाए गए। जब तटबन्ध बन गया तो उसके बाएँ किनारे में आकर मिलने वाली उसकी दो सहायक धाराओं में से एक पुरानी धार या मनुस्मारा के मुहाने के बन्द होने की नौबत आ गई। मनुस्मारा बागमती की पुरानी धार का दूसरा नाम है।

कहते हैं कि 1934 के बिहार के भूकम्प के समय पुरानी धार के पानी में कुछ गुणात्मक परिवर्तन हुए और उसका पानी जहरीला हो गया। उसके पानी में नहाने वाला या उसके पानी का किसी भी रूप में उपयोग करने वाला व्यक्ति काल-ग्रस्त हो जाता था। इस वजह से पुरानी धार को नया नाम ‘मानुष मारा’ दिया गया। यही नाम अब अपभ्रंश होकर मनुस्मारा हो गया है। बागमती की ही तरह मनुस्मारा नदी का उद्गम भी नेपाल में ही है।

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