प्राण जाए पर वचन न जाए के अनुसार अमृता देवी ने योगदान से बारे में लिखिए और
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अमृता देवी का बलिदान और विश्नोई समाज का पर्यावरण के लिए बलिदान विश्नोई समाज के लिए गर्व का विषय है उनकी याद में बनवाया गया स्मृति स्तम्भ आज भी श्रद्धा का केंद्र हैं। श्री महंत बताते हैं विश्नोई समाज के लोग देश- दुनिया में जहाँ भी हैं पर्यावरण के प्रति उनमें विशेष स्नेह हैं। मुख्यरूप से विश्नोई समाज के लोग राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा ,पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र में बसे हैं लेकिन सबका मूल राजस्थान ही है।
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लखनऊ । " पेड़ को हम राखी बांधते हैं, ये हमारे घर के सदस्य हैं, इसे नहीं काटने देंगे। पेड़ के बदले अगर सिर कटाना पड़े तो मंजूर है"। आज से 289 साल पहले राजस्थान के जोधपुर जिले के एक किसान परिवार की सामान्य महिला द्वारा राजा के मंत्री से कहे गये इन शब्दों को राजद्रोह माना गया। इसकी सजा एक नहीं कई गाँव के लोगों को भुगतनी पड़ी लेकिन गाँव वालों ने पेड़ नहीं काटने दिए और आख़िरकार राजाज्ञा वापस ली गयी।
राजस्थान के जोधपुर जिले के जिला मुख्यालय से दक्षिण-पूर्व दिशा में मात्र 25 किमी की दूरी पर स्थित गाँव "खेजडली", विश्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए एक मिसाल है। पूरी दुनिया में पर्यावरण संरक्षण को लेकर इतनी बड़ी कुर्बानी का उल्लेख और कहीं नहीं मिलता।