पूर्णांक-70 (क) द्विनिषेचन तथा त्रिसंलयन किस समूह के पौधों की विशेषता है? 1
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द्विनिषेचन या दोहरा निषेचन पराग नलिका (pollen tube) में उपस्थित दोनों नर केन्द्रक ही नर युग्मक (male gametes) की तरह कार्य करते हैं और भ्रूणकोष में पहुँचने के बाद इनमें से एक नर युग्मक वास्तविक मादा युग्मक(female gamete) अर्थात् अण्ड कोशिका (egg cell) के अन्दर प्रवेश करके उसके केन्द्रक के साथ संलयित (fuse) हो जाता है। यह क्रिया वास्तविक युग्मक संलयन (syngamy) है। इस प्रकार की क्रिया को निषेचन (fertilization) कहते हैं। दूसरा नर युग्मक, दो ध्रुवीय केन्द्रकों (polar nuclei) द्वारा बने द्वितीयक केन्द्रक (secondary nucleus) की ओर पहुँचकर उसे निषेचित करता है। यह क्रिया त्रिसंयोजन (triple fusion) कहलाती है। इस समय भ्रूणकोष के अन्दर निषेचित अण्डकोशिका तथा त्रिसंयोजित केन्द्रक के अतिरिक्त सभी केन्द्रक अथवा कोशिकाएँ धीरे-धीरे लुप्त हो जाती हैं। यहाँ, एक ही भ्रूणकोष में दो संलयन होते हैं; अतः यह क्रिया द्विनिषेचन (double fertilization) कहलाती है और इस क्रिया के फलस्वरूप भ्रूणकोष में प्रायः निम्नलिखित परिवर्तन दृष्टिगोचर होते हैं – 1. बीजाण्ड के दोनों कवच तथा इनसे बनने वाली संरचनाओं में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता और ये नये बनने वाले बीज का बीजावरण (seed coat) बनाते हैं। 2. बीजाण्डकाय में उपस्थित भ्रूणकोष (embryo sac) में, अब दो ही केन्द्रक तथा उनसे बनने वाली कोशिकाएँ रह जाती हैं, ये इस प्रकार हैं – • निषिक्ताण्ड (Oospore) – जो एक नर युग्मक (केन्द्रक) तथा अण्डकोशिका के संलयन (fusion) के फलस्वरूप बना है तथा आगे चलकर भ्रूण (embryo) का निर्माण करेगा। • भूणपोष केन्द्रक (Endospermic Nucleus) – जो द्वितीयक केन्द्रक (2n) तथा एक नर केन्द्रक (n) के संलयन से बना है अतः प्रायः त्रिगुणित (triploid) होता है और | सम्पूर्ण भ्रूणकोष के कोशिकाद्रव्य को अपनी कोशिका मानकर रहता है। यही कोशिका आगे चलकर भ्रूणपोष(endosperm) का निर्माण करती है।Read more on Sarthaks.com - https://www.sarthaks.com/483229/