प्राण पखेरू उड़ना मुहावरे का अर्थ
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इस मुहावरे में प्राणों को पंछी के रूप में व्यक्त किया गया है जो शरीर रूपी पिंजरे में कैद रहता है। जब प्राण रूपी पंछी उड़ जाता है तो शरीर चेतना विहीन हो जाता है, अर्थात गतिहीन हो जाता है। चेतना विहीन शरीर को मृत माना जाता है। प्राण पखेरू उड़ गए अर्थात प्राण शरीर से निकल गए और मृत्यु हो गई
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मर जाना या मृत्यु को प्राप्त हो जाना।
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